Tuesday, July 19, 2016

असम में नई सरकार के समक्ष परीक्षा की घड़ी
रवि अजितसरिया
असम में नई सरकार के समक्ष कार्य क्षमता को परखने वाली परीक्षा की घडी है, खास करकें जब राज्य में एक गठबंधन सरकार है l हम यह बात इसलिए कर रहें है क्योंकि अभी दो महीने पहले ही राज्य में भाजपा सरकार ने पहली बार शासन ग्रहण किया है, और उस पर राज्य में परिवर्तन लाने का दारोमदार है l उपर से गठबंधन में रहने वाली पार्टियों को भी खुश रखने की भी उसकी जिम्मेवारी है l परिवर्तन के नारे के साथ राज्य में धमाके से प्रवेश करने वाली भाजपा के समक्ष इसलिए भी चुनौती है क्योंकि उसे राज्यवासियों के लिए एक विकसित असम के सपने को पूरा करना है, भ्रष्टाचार से जर्जर  हो चुके असम को एक सुशासन देना है l यहाँ लोगों का मानना है कि असम एक ऐसा राज्य बने जिस पर प्रत्येक राज्यवासी गौरव हो सके, और वे गर्व के कह सके कि वे असम राज्य के निवासी है l उनका यह भी कहना है कि पुरे भारतवर्ष में पूर्वोत्तर के लोगों को अलग नज़रों से देखा जा रहा है, असम में भाजपा की की एंट्री के साथ, पुरे पूर्वोत्तर के हालात शायद सुधर जाये l इधर राज्य में पिछले दो महीने से लगातार हो रही बारिश से कम से कम छह जिलों में बाढ़ जैसे हालात हो गएँ है, जिससे लाखों लोग प्रभावित हुए है l उनके पुर्नार्वास भी सरकार के लिए चुनौती है l अकेले गुवाहाटी के निचले इलाकों में रहने वालें लोग कृत्रिम बाढ़ से जुंझ रहें है l l बारह तेल क्षेत्रों की नीलामी को लेकर पहले से ही उनके गठबंधन के सहयोगी कमर कस कर खड़ें है l उपर से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के स्थान के चयन को लेकर रोहा में हो रहे आन्दोलन सरकार के लिए सिर दर्द बन गया है l अभी तक कई राजनैतिक पार्टियाँ आन्दोलन में मरने वाले युवक मंटू देवरी के घर जा कर उसकी पत्नी को सांत्वना के अलावा नगद मुआवजा दे चुकी है l सरकार ने भी परिस्थिति को नियंत्रण में करने के लिए और सहायता करने के उद्देश्य से मंटू देवरी की पत्नी को पांच लाख का मुआवजा और सकारी नौकरी दी है l अब प्रश्न यह नहीं है कि एम्स की स्थापना रोहा में क्यों नहीं बल्कि प्रश्न यह है कि रोहा में इस तरह से हिंसक आन्दोलन के पीछे कौन कौन सी राजनैतिक पार्टियाँ परदे के पीछे से कार्य कर रही है, जिससे सर्वानन्द सरकार की किरकिरी हो सके l यह भी कहा जा रहा है कि कोई तीसरी शक्ति इस सब के पीछे कार्य कर रही है l असम गण परिषद् के नेता और राज्य में दो बार मुख्यमंत्री रह चुके प्रफुल्ल महंत ने रोहा में एम्स बनाने को लेकर अपनी राय दे चुकें है, जिससे राज्य की राजनीति गर्म हो चुकी है l मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी मोर्चा संभाल लिया है, और आन्दोलनकारियों के पक्ष में वक्तव्य देने शुरू कर दिए है l इधर एक समय कोंग्रेस सरकार में एक शकिशाली मंत्री रहे, और वर्तमान भाजपा सरकार में वित्त और शिक्षा मंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कोंग्रेस के खिलाफ बड़ा मोर्चा खोल दिया है और सरकारी फाइलों को प्रेस के सामने रख कर यह जताने की कौशिश की,  
कि कोंग्रेस के कार्यकाल में ही चांगसारी में एम्स के स्थापन को मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने ही हरी झंडी दिखा दी थी l
इस तरह से आरोप-प्रत्यारोपों के बीच यह तो तय है कि रोहा में आन्दोलन अब एक राजनैतिक आन्दोलन बना चूका है, जिसका फायदा लेने के लिए राजनैतिक पार्टियाँ और छात्र संगठन लेने को आतुर है l यह भी तय है कि जिस भी क्षेत्र पर एम्स की घोषणा होगी वह क्षेत्र विकसित हो जायेगा, और रोजगार के नए साधन बनेंगे l रोहा के लोगों का मानना है कि चुनाव के पहले सर्वानन्द सरकार ने कहा था कि एम्स रोहा में ही बनेगा l इधर १२ तेल क्षेत्रों की नीलामी को लेकर अगप नेता प्रफुल्ल महंत ने अभी असहमति जताई है और कहा है कि निजी क्षेत्र को तेल कुओं को सोपने से स्थानीय हितों की अनदेखी होगी l असम गण परिषद् का गठन उस समय हुवा था, जब राज्य में आसू आन्दोलन के बाद एक असम समझोता हुवा था l असम गण परिषद् उस समय से ही एक क्षेत्रीय पार्टी मानी जाती है, जो असम के हितों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है l ऐसी एक पार्टी, अगर एक राष्ट्रिय पार्टी के साथ गठबंधन करके उसके निर्णय में सहभागी होती है, तब उसके चस्पे को भरी नुकसान होने की आशंका है l शायद, इसलिए भी, प्रफुल्ल महंत, भाजपा नेता और राज्य सभा सांसद सुब्रमनियम स्वामी का रोल निभा रहे है, जो भाजपा की हिन्दूवादी नीतियों की लगातार मुखालपत कर रहे है l इधर महंत भी भाजपा के सत्ता में आने के पश्चात गठबंधन के धर्म को निभाने के बजाये, लगातार बयानबाजी कर रहें है, जिससे पार्टी की असम के पक्ष में कार्य करने की वचनबद्धता भी बनी रहे और वे खुद चर्चा में रहें l

इधर राज्य में सरकार ने अपनी वित्तीय हालत को सुधारने के लिए एक प्रतिशत कर में बढ़ोतरी कर दी, जिससे यह संभावना बन गयी कि इस बढ़ोतरी से वस्तुओं के भाव बढ़ जायेंगे l उल्लेखनीय है कि नई सरकार के सत्ता सँभालते ही अवेध वसूली और मूल्य वृद्धि ह्रास करने के उद्देश्य से राज्य से चेक गेट हटाने की घोषणा की थी, जिसकी भारी प्रशंसा लोगों ने की थी l अब एक प्रतिशत वेट बढ़ा कर सरकार लोगों के समक्ष मुहं खोलने की हिम्मत नहीं कर रही, पर यह तर्क दे रही है कि आवश्यक सामग्रियों के दाम इस कर बढ़ोतरी से नहीं बढ़ेंगे l पर व्यापारियों ने अभी सरकार के साथ दो-दो हाथ करने की ठान ली है l मूल्य वृद्धि के नाम पर जिस तरह से उनसे पूछ-ताछ की जा रही है, उनसे वे परेशान ही नहीं बल्कि दुखी भी है l राज्य में पहले से मूल्य वृद्धि हुई है, उपर से राज्य में आने वाली बाढ़ से जूझते लोगों के पास इस समय सर्वानन्द सरकार के समक्ष एक आशा भरी नजरों से देखने के अलावा कोई चारा नजर नहीं आ रहा है l इधर राज्य में लगातार हो रही राजस्व की कमी से परेशान राज्य सरकार अपना पहला बजट पेश करने के लिए तैयार है, जिसमे यह सम्भावना व्यक्त की जा रही  है कि वित्त मंत्री राज्य वासियों को योजनाओं का बड़ा तोहफा देने वालें है l 

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