Saturday, July 2, 2022

पांच वर्षों का जीएसटी कानून, कितना सफल

 

पांच वर्षों का जीएसटी कानून, कितना सफल

अगर मोटे तोर पर कहा जाय कि जीएसटी कानून देश के लिए कितना उपयोगकारी सिद्ध हुवा है, तब एक सुर में सभी यह कहेंगे कि 1 जुलाई सन 2017 के बाद से देश में एतिहासिक रूप से परोक्ष कर सुधारों में एक बड़ा कदम सरकार ने उठाया है l विक्री कर के क्षेत्र में ‘एक देश एक कर’ का प्रावधान रखते हुए सरकार ने आर्थिक सुधारों, देश के लोगों को अतरिक्त कर के बोझ से निकालने, कर ढांचे का सरलीकरण करना और देश को तकनिकी रूप से सबल बनने के उद्देश्य से पांच वर्षों पहले जीएसटी कानून को लागु किया था l ख़ुशी की बात यह है कि वर्ष 2022-23 के इन शुरुवाती दिनों से ही राजस्व में बेहताशा बृद्धि देखने को मिल रही है l जीएसटी के प्रावधानों के अनुपालन के लिए अब व्यापारियों औरे उद्योगपतियों की सोच में एक बड़ा बदलाव आया है, जिसके लिए अब यह कानून एक ‘व्यापार सुधार कानून और ‘व्यापार सुधार व्यवस्था’ का रूप ले चूका हैं l जीएसटी रजिस्ट्रेशन अब एक स्टेटस और सफलता सिंबल बन गया हैं l जिन व्यापारियों ने जीएसटी के तहत रजिस्ट्रेशन करवाया है, उनके लिए सोने पे सुहागा उस समय बन, जब खरीदारों को इनपुट लेने के लिए जीएसटी बिल की जरुरत आन पड़ी थी l जिन व्यापारियों ने नए कर ढांचे के दरम्यान अपने आप को ढाल लिया, उनके लिए व्यस्था में अंतर्गत अगर तिथियों के अनुपालन का दबाद है,तो उनके पास इनपुट क्रेडिट लेने के लिए प्रावधान भी हैं l ऐसा माना जा रहा है कि यह एक मानव रहित ऑटोमेटेड कर प्रणाली है, और सिस्टम द्वारा संचालित है, जिसमे डाटा एंट्री किये जाने पर अपने आप से आंकड़े निकल कर आते हैं l इस सुविधा का फायदा लाखों रजिस्टर्ड होल्डर बड़े मजे से निभा रहे हैं l एस अभी कहा जा रहा है कि व्यापारियों द्वारा अगर जीएसटी बिल दिया जाता है, तब उसका स्टेटस अचानक से बढ़ जाता हैं l जीएसटी कानून ने पिछले पांच वर्षों में देश के व्यापार जगत में एक नया परिवर्तन ला दिया हैं, जिससे देश के माल धुलाई तो तेजी से बढ़ी ही है, साथ ही में व्यापार की मात्रा और परिमाण भी बढ़ गया हैं l ‘एक देश एक कर’ के नारे को तो धरातल पर  उतारने के लिए सरकार की यह चेष्टा सफल हुई हैं l एक जटिल व्यवस्था को लोगों के समझाने में जितनी मेहमत सरकार को करनी पड़ी, उसके परिणाम आज आ रहे हैं l उल्लेखनीय है कि जून महीने के जीएसटी कलेक्शन 1लाख40 हज़ार करोड़ रुपये से ज्यादा का हुवा हैं l जीएसटी कानून भले ही आम उपभोक्ता को नहीं छेड़ता, पर जब 17 केंद्रीय और राज्य करों और 13 उप कानूनों को रद्द करके एक जीएसटी कानून में सम्मिलित किया गया है, इसका सीधा असर आम अपभोक्ता पर जरुर पड़ रहा हैं l उपर से एक कर ने व्यापारियों को मुक्त रूप से देश भर में माल बेचने की आजादी भी प्रदान कर दी हैं l जीएसटी कानून लाने के पीछे सबसे बड़ा कारण था, समानता का फार्मूला और अति आवशयक वस्तुओं पर जीएसटी के प्रावधानों को नहीं लगाना l इन दोनों बिन्दुवों पर सरकार ने अभी तक स्थिति कायम राखी हैं पर बड़ी बात यह है कि नए करों से क्या महंगाई बढ़ नहीं गयी l यह अलग बात है कि यह शिकायत भी है कि कुछ व्यापारी कर तो उठा लेते है, फिर रिटर्न भरने में देरी करते है, जिसके फलस्वरूप सामने वाले व्यापारी को इनपुट क्रेडिट नहीं मिल पता l इनमे से कुछ धूर्त व्यापारी कारोबार करके छु मंतर भी हो गए थे, जिनका पता आज तक नहीं चला l कुछ व्यापारी  सेल का रिटर्न ही नहीं डालते, और कुछ समय पर रिटर्न दाखिल नहीं करते, जिसका खामियाजा दुसरे व्यापारी भुगतते हैं l उपर से जीएसटी के अनुपालना के लिए अभी भी व्यापरियों के लिए सरकार के लिए कोई प्रोत्साहन सौगात नहीं हैं l

अब बात करते है, समस्याओं की, जीएसटी का सरकारी पोर्टल को लेकर कर सलाहकारों और चार्टर्ड अकाउंटेंट वर्ग में भारी रोष हैं l प्रख्यात जीएसटी सलाहकार और चार्टर्ड अकाउंटेंट ओमप्रकाश अगरवाल से जब उनका जीएसटी का पांच साल का अनुभव पूछा गया, तब उन्होंने ग़ालिब के इस शेर से शुरुवात की ‘मरीजे इश्क पर रहमत खुदा की, मर्ज बढ़ता गया, ज्यो-ज्यो दावा की l उनका कहना है कि वर्त्तमान जीएसटी पोर्टल यूजर फ्रेंडली नहीं है, डाटा डालने के लिए सीमित स्थान उपलब्ध करवाए गए हैं l इसके अलावा, शिकायत के लिए हेल्पलाइन डेस्क भी कारगार नहीं हैं l जीएसटी के रिटर्न दाखिल करने की तारीखों पर अगर व्यापारी रिटर्न नहीं भरता, तब सामने वाले व्यापारी को इनपुट क्रेडिट उस महीने में नहीं मिलता l अगर कोई व्यापारी छह महीने तक रिटर्न नहीं देता, तब खरीदने वाले व्यापारी को इनपुट क्रेडिट कभी भी नहीं मिलेगा l जब एक डीलर सरकार के लिए कर वसूली करता है, तब यह उसका दायित्व बन जाता है कि वह वसूला हुवा कर सरकार को दे l पर वही डीलर उस कर का पेमेंट नहीं करता, तब देने वाले व्यापारी कू इनपुट क्रेडिट क्यों नहीं मिलेगा l उनका मानना है कि लगातार हो रहे कानून में बदलाव से समस्या और अधिक उलझ रही हैं l जो अधिकारी कानून बना रहे है उनको विक्रय कर के बार में जानकारी नहीं है, जीएसटी के अंतर्गत, डीलरों की समस्याओं को अनदेखा किया जा रहा हैं l डीलरों के लिए छुट की कोई व्यवस्था नहीं है, जिन्होंने तकनिकी कारणों से रिटर्न दाखिल नहीं किया है, उनपर पेनल्टी और ब्याज लगाया जा रहा हैं l उन्होंने यह भी कहा है कि भारत एक कल्याणकारी देश है, जहा की अधिकांश जनता अभी भी तकनीकी शिक्षा से वंचित है l कोरोना काल में लाखों लोगों से चुक हुई है, जिसका खामियाजा उनको आज भुगतना पड़ रहा हैं l सरकार को डीलरों के उपर लगाये गए व्याज और पेनाल्टी के उपर सहानभूतिपूर्वक विचार करना चाहिये l

भारत में इस समय आम आदमी, खास करके देश के मंझले और खुदरा व्यापरियों के मुश्किल भरें दिन चल रहें है l यह बात हम इसलिए कह रहे है क्योंकि व्यापरियों के माथे पर चिंता की लकीरे साफ़ दिखाई दे रही है l उन्हें चिंता है अपने भविष्य की, जो इस समय उन्हें चुनौती दे रहा है l मंडियों में नदारद ग्राहकों और ऑनलाइन का बढ़ता व्यापार एक बड़ी चिंता व्यापारियों के लिए बन गयी हैं l इसके लिए एक नई जद्दोजहेद शुरू करनी होगी l इधर जीएसटी में हो रहे लगातार हो रहे बदलाव और उससे होने वाले बदलाव से क्या नया बदलने वाला है, इस बात से बेखबर व्यापारी, इस चिंता को लेकर परेशान है कि बाजारों में पसरा सूनापन, अगर इसी तरह से चलता रहा, तब उस किस तरह से अपने आप को बचाना हैं l