Sunday, December 19, 2010

बदलाव और बिखराव

हम एकल परिवार की कल्पना करतें करतें इस स्तर पर पहुच गएँ है, कि अब एकलता खलने लगी है। युवाओं में बढ़ी प्रतिभा ने सामाजिकता के नए उपक्रम बनने लगे है। मानव मूल्यों के र्हास के साथ ही एक नयी सामाजिकता ने जन्म ले लिया है, जो सबको भा रही है। समाजशास्त्रियो ने इस स्थिति को खतरनाक और अससंस्कारी बतायाँ है। अब अपनेपन की बातें किसी ट्रेड की टर्म्स एंड कान्डिसन सी लगने लगी है. गिवे एंड टेक का बोलबाला है। इस विषय पर और बातें कर्नेगे..क्रमश