Friday, December 29, 2023

असम के लिए नए वर्ष के संकल्प और चुनौतियाँ

 

असम के लिए नए वर्ष के संकल्प और चुनौतियाँ

हमारे जीवन में जो भी घटनाएँ होती है, उनका प्रभाव आने वाले दिनों पर जरुर पड़ता हैं l चाहे बात निजी जीवन की हो, परिवार को हो या फिर समाज, राज्य या राष्ट्र की हो l नया साल 2024 दस्तक दे रहा है, केलेंडर बदलने वाला है l सन 2024, भारत और उसके नागरिकों के लिए बहुत ख़ास होने वाला हैं l आम नागरिकों पर देश में होने वाली घटनाओं का प्रभाव जरुर पड़ता हैं l प्रतिबंधित संगठन उल्फा(वार्ता गुट) के साथ शांति समझोता, निश्चित रूप से असमवासियों के लिए एक बड़ी खबर हैं l 29 दिसम्बर की शाम को हुवा यह समझोता, वर्षों से चल रही वार्ता को एक सुखद अंत की और ले गया है l इस समझते से असम का राजनीतिक और सामाजिक माहोल बदलने वाला है, क्योंकि कुछ वादें असम सरकार ने किये है, कुछ वचन वार्ता गुट ने दिए हैं, जिनका सीधा साधा प्रभाव असम की जनता पर पड़ेगा, उनके सामाजिक जीवन के उन पहलुवों पर पड़ेगा, जिनके लिए और जिनकी वजह से असम में करीब पचास वर्षों से किस ना किसी तरह का आन्दोलन चल रहा हैं l वार्ता पक्ष के उल्फा के सदस्य अब एक आम नागरिक की तरह अपना जीवन कटा सकेंगे और असम के आर्थसामाजिक जीवन में अपना योगदान दे सकेंगे l असम सरकार की यह एक बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी l असम में पिछले 65 वर्षों से रुक रुक आकर हिंसा का एक दौर चलता रहा है l ना जाने कितनी ही बार सेना का ऑपरेशन यहाँ चला है l सन 1990 में एक चुनी हुई सरकार असम गण तक को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा था l निश्चित तौर पर इस समझोते का असर नए वर्ष में लोगों पर पड़ने वाला हैं l समझोते का एक पहलु यह भी है कि विभाजित उल्फा(आई) के प्रमुख परेश बरुआ अभी भी म्यांमार-चीन सीमा से अपना अभियान सशस्त्र अभियान चलाये हुए है और किसी भी समझोते के हक़ में नहीं है l पर 45 वर्षों के सशस्त्र आन्दोलन को चलाने वाले ज्यादातर उल्फा सदस्यों के साथ हुए इस इस समझोते से परेश बरुआ पर बातचीत के लिए आगे आने का दबाब जरुर पड़ेगा l यह भी देखना दिलचस्प रहेगा कि वार्ता गुट के सदस्य आने वाले दिनों में असम की राजनीति को कितना प्रभावित करते हैं l इधर असम सरकार के उपर समझोते को लागु करने के लिए जिम्मेवारी रहेगी, जिसे सामाजिक और आर्थिक पैकेज तो शामिल है ही, साथ ही उन सदस्यों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करना होगा, जिन्होंने कई वर्षों तक निर्वासित जीवन बिताया हैं l साथ ही, अभी भी जंगले में रह रहे सैकड़ों अंडरग्राउंड केड़ेरों को बातचीत के लिए दबाब बनाना और उन्हें सुरक्षित रास्ता देना l असम में हिमंत विश्व शर्मा की सरकार आने के पश्चात उन्होंने, शांति के लिए कई दफा उल्फा प्रमुख परेश बरुआ को बातचीत के लिए निमंत्रण दिया है, जिसके सुखद परिणाम भी निकले, जैसे युद्ध विराम की घोषणा, इत्यादि, पर वार्ता गुट के साथ समझोते की मेज पर ले कर आना, एक बड़ा कदम है, जिसके लिए उन्होंने केंद्र सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को विश्वास में लेने में सक्षम हुए हैं l जब असम समझोता हुवा था, तब समूचे असम में हर तबके के लोगों में इसलिए ख़ुशी थी कि विकास का एक नया सवेरा होने वाला था l असम के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास का एक वादा था, असम समझोता l असम समझोते को लागु करने के लिए कई दफा समितियां भी बनी हैं l पर इस वक्त 12 वर्षों के गहन विमर्श का बाद यह समझोता संभव हुवा है, जिसमे स्थानीय लोगों के लिए भूमि और राजनीतिक अधिकार दिया जाना शामिल हैं l उपर से केंद्र सरकार ने एक बड़ा वितीय पैकेज की भी घोषणा समझोते के मार्फ़त की है l असम आंदोलन, जिस पृष्ठभूमि में शुरू हुवा था, उसके पीछे एक वजह थी, असम की जनसांख्यिकी में बदलाव, जो इसलिए हुई क्योंकि बड़ी संख्या में बंग भाषी मुसलमानों ने असम की भूमि पर कब्ज़ा कर लिया था l इस समझते में भी असम की संस्कृति की रक्षा का वादा भी शामिल है, जिसके लिए आन्दोलन होते रहें हैं l ‘का’ आन्दोलन भी उसी का एक रूप था l भूमि, भूमिपुत्रों के लिए, चुनाव स्थानीय लोगों के लिए और गावं, शहरों में सरकारी संस्थानों का खुलना, यह कुछ मुख्य बिंदु है, जिन पर दोनों पक्ष एकमत हुए हैं l अब शांति के रास्ते, प्रजातांत्रिक तरीके से मुख्यधारा में शामिल हो कर, उल्फा के सदस्य, असम ले लोगों के साथ कंधे से कंधा मिला कर चल सकेंगे l निश्चित रूप से असम सरकार के लिए 2024  का यह नया वर्ष चुनौती भरा होने वाला है l  

नए वर्ष के लिए संकल्प लेने के पहले यह जान लेते है कि वर्ष 2024 कितना महत्वपूर्ण है l आगामी जनवरी माह में पाकिस्तान और बांग्लादेश में आम चुनाव होने वाले हैं l जनवरी में ही राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा है l भारत में संभवतः मई माह में, ब्रिटेन और अमेरिका में साल के अंत में आम चुनाव होने वाले हैं l अमरीका में अब शांतिपूर्वक चुनाव नहीं होते l आरोप और प्रत्यारोप से भरे रहते हैं l  इस बार दुबारा से डोनाल्ड ट्रम्प चुनाव लड़ने क लिए जद्दोजहेद कर रहे है l राम मंदिर के उद्घाटन को पूरी दुनिया के लोग करीब से देखेंगे, क्योंकि धर्म के साथ यह एक राजनीतिक मुद्दा भी बन चूका है l राम मंदिर और 370 हटाने की घोषणा, भारतीय जनता पार्टी बहुत पहले कर चुकी है l अनुछेद 370 अब हट चूका है, राम मंदिर बनने का रास्ता साफ़ हो चूका है, अब सामान नागरिकता संहिता के अपने वादे को पूरा करने ले लिए अब उसकी बारी है l वैसे 370 के हटाने के बाद अब उसके लिए चुनौती है, 2024 में जम्मू कश्मीर में चुनाव करवाना और उसे राज्य का दर्जा देना है l

पूर्वोत्तर और खासकरके असम और नई दिल्ली के बीच सेतु का कार्य करने वाले असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने यहाँ के सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण रखने के लिए कई कदम उठायें हैं l इस समझोते से एक नई आशा भी जगी हैं l एक सच्चाई यह भी है कि असम में विभिन्न भाषा-भाषी वर्षों से रह रहे है, उन पर इस समझोते का प्रभाव किस तरह से पड़ेगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा l 2024 के लोक सभा के चुनाव में किस तरह के प्रार्थी आते है, किस समुदाय का प्रतिनिधित्व करते है, यह देखने लायक बात होगी l इस वक्त 2023 के अंतिम दिन, असम की और लोग आशा भरी नजरों से देख रहे हैं l हिंसा छोड़, शांति के रास्ते चल कर यहाँ एक सकारात्मक माहोल बनाना अब यहाँ के लोगों के लिए एक बड़ी चुनौती हैं l असम के आम लोगों के लिए यह एक सुनहरा अवसर आया है, उन्हें अब असम के विकास में सहयोगी बनना होगा, जिससे असम सरकार का यह कदम सभी के लिए खुशियाँ ले कर आयें l सभी को मेरी और से नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं l