Sunday, October 13, 2013

में बदल जाता हू.

18 March 2012 at 14:03
एक अन्तेरात्मा की आवाज़,
जसे एक आग का शोला,
हर वक्त अपने अंदर समेटे हुवे,
में रोज कुछ बदलें, इस आशा
का इंतज़ार करता हू,
कुछ बदले या न बदले,
पर में बदल जाता हू,
मेरे हालत बदल जाते है,
रोज बदल बदल कर कैसे जिउ में,
जिस आशा, जिस आग को अपने अंदर,
लिए सामने होने वालें वाक्यों को कैसे बदलू,
जिस पर मेरा कोई सरोकार नहीं,
जिस मेरा कोई अधिकार नहीं,
शायाद इसलिए कुछ कुछ बदले या,
न बदले,
में पल पल बदल जाता हू.

में बदल जाता हू.

18 March 2012 at 14:03
एक अन्तेरात्मा की आवाज़,
जसे एक आग का शोला,
हर वक्त अपने अंदर समेटे हुवे,
में रोज कुछ बदलें, इस आशा
का इंतज़ार करता हू,
कुछ बदले या न बदले,
पर में बदल जाता हू,
मेरे हालत बदल जाते है,
रोज बदल बदल कर कैसे जिउ में,
जिस आशा, जिस आग को अपने अंदर,
लिए सामने होने वालें वाक्यों को कैसे बदलू,
जिस पर मेरा कोई सरोकार नहीं,
जिस मेरा कोई अधिकार नहीं,
शायाद इसलिए कुछ कुछ बदले या,
न बदले,
में पल पल बदल जाता हू.