गणतंत्र का आनंद
इस बार 26 जनवरी को हम आजाद
भारत का 72वां गणतंत्र दिवस मानाने जा रहे हैं l भारत 26 जनवरी 1950 को एक गणतंत्र बना l भारतीय संविधान की दो हस्तलिखित कोपियों पर
संविधान सभा के 308 सदस्यों ने हस्ताक्षर किये थे l फिर जा कर देश में संविधान 26 जनवरी से लागु हुवा l इसकी प्रस्तावना हम भारत के लोग से शुरू होती
है और मूल रूप से इस तरह से शुरू होती है l’ हम, भारत के लोग,
भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न समाजवादी
पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता, प्राप्त कराने के लिए, तथा उन सब में, व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता
बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्पित होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर
1949 ईस्वी (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हजार छह विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को
अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित
करते हैं’। एक ऐसा गणतंत्र जो जीवंत है, जोश से भरा है l सबसे बड़ा लोकतंत्र का दर्जा इसे
प्राप्त है, जिसमे एक लिखित संविधान है, एक चुनी हुई सरकार है, एक कार्यपालिका है
और एक स्वतंत्र न्यायपालिका है l इस सभी को मिला कर ही तो एक गणतंत्र बनता है l
ख़ुशी कि बात है कि सबसे बड़े गणतंत्र का उदहारण पूरी दुनिया के सामने रखा जाता है l
अमेरिका, जो विश्व का सबसे
पुराना गणतंत्र माना जाता है, वहा नागरिकों को हर तरह के अधिकार प्राप्त है l एक
फ्री प्रेस है और विरोध का अधिकार है l इस बार राष्ट्रपति के चुनाव के दौरान हुई
हिंसा और वाइट हाउस में ट्रम्प समर्थक द्वारा किया गया उत्पात, लोकतंत्र के लिए एक
काला अध्याय था l कहने को तो भारत में भी हर नागरिकों को हर तरह के अधिकार है, पर
उन अधिकारों पर अंकुश ज्यादा है, जिससे वें अधिकार सीमित हो कर संकुचित हो गए है l
पर फिर भी भारतीय लोकतंत्र को दुनिया में एक सफल मॉडल के रूप में देखा जाता है l
इसका मुख्य कारण है, यहाँ का एक संघीय ढांचा, जिसके उपर सभी को विश्वास है l राज्य
सरकारों और केंद्र के बीच सहमती के लिए संविधान में व्यवस्था और न्यायपालिका पर
विश्वास ने यहाँ के लोगों को गणतंत्र के इसी तरह के मॉडल पर सहमति व्यक्त की हैं l
भारत एक विभिन्न संस्कृति वाला देश है, जहाँ अनेकों राज्यों में भाषाई लोग विराज
करते हैं l इतनी विविधता के बीच भारत मॉडल का सफल होना, एकता में अनेकता का द्वोतक
है l इसके बावजूद भी यहाँ एक असहमति के बादल फैले हुए है l असहमति विचारों की भी
है और कार्यों की भी हैं l अब सिघु बॉर्डर पर पिछले करीब 60 दिनों से किसान
कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों की और पूरा देश देख रहा हैं, पर कोई
समाधान नहीं निकल रहा है l असम में तिनसुकिया में मिसिंग समुदाय के लोग पिछले 31
दिनों से स्थाई पुनर्वास के लिए खुले में आंदोलन कर रहे हैं l इन सब के बीच भी
लोकतंत्र मजबूती से भारत में विराज कर रहा है l