समाज के पास कई सारी प्राथमिकतायें है,जिन पर समस्त समाज कार्य कर रहा है। उनके प्रति हम कितने प्रतिबद्ध है, यह हमको देखना है।
Saturday, February 7, 2009
जबाबदेही क्यों नही?
अगर गौर से देखें, तब हम पाएंगे कि, सरकारी अमला अपने कार्य पुरी जिम्मेवारी से नही करते, और नतीजा यह होता है, कि एक आम आदमी उसकी सजा भुगतता है। क्या हम अपने सरकारी तंत्र को मजबूत नही बना सकतें । क्या देशवासियों को एक बार फिर आन्दोलन चलाना होगा। इस देश को नोकर्शाहों की गिरफ्त से मुक्ति दिलानें हेतु। देश का बुद्धिजीवी वर्ग अपनी ही चाल में चल रहा है, उसके पास राय देने के आलावा कुछ भी नही है, और एक आम आदमी के पास इतने पावर नही कि, वे भ्रष्टअधिकारियो को हटा सके, क्योंकि, साक्ष्य इतने कमजोर है, कि वे अपनी बात को प्रमाणित नही कर पाते, और वही पुराना ढर्रा चल रहा है। आम आदमी भ्रष्टाचार के दलदल में फँस जा रहा । यह कड़ी कब टूटेगी ?
Tuesday, February 3, 2009
क्यो समाज में बदलाव की जरुरत होती है?
भारत में सदियों से एक सुसँस्कृत समाज विध्यवान रहा है, यहाँ की आबो हवा भारतीयों को सभ्यता, मित्रता के और नजदीक ले जाती है। यहाँ लोग जल्दी बदलाव नही लाना चाहेते, क्योंकि, लोगो को पुराणी आदतों के साथ जीने की आदत पड़ी हुवी है। शायद, इसलिए भारतीय लोगो में जीने की अधिक जीजिविसा है, जिसके साथ एक आम भारतीय अपनी संस्कृति के साथ जीने की आदत डाल लेता है। फिर भी, हम इस आधुनिक ज़माने में बदलाव की आदत डालने पर मजबूर है। इसका मुख्य कारण है, संचार क्रांति का प्रचार प्रसार, जिसका प्रभाव एक आम भारतीय पर पड़ा है। अब परिवारों में इस संचार क्रांति के कदम पड़ चुके है, जिसके उदहारण हमारे सामने है, संयुक्त परिवार का टूटना और एकल परिवार की स्थापना। क्या बदलाव के बीज हमारे मानवीय मूल्यों पर नही पड़ा है। बड़े महानगरों में भागदौड़ की जिंदगी में कहाँ किसे दो मिनट की फुरसत है, मानवता के लिए, मानव मूल्यों के लिए। शायद इसलिए बदलाव की जरुरत होती है, जिससे जीवन सुखद बने.
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