Friday, June 23, 2017

देश की सूरत बदलेगा जीएसटी
रवि अजितसरिया

इस समय देश के व्यापारियों के समक्ष एक परीक्षा की घड़ी है l क्योंकि ऐसा अनुमान है कि देश भर में एक जुलाई से एकीकृत कर ढांचा, यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी ) लागु हो जायेगा, जिससे देश भर में आय कर को छोड़ कर सभी राज्यों के के विक्री कर, सेवा कर,  केन्द्रीय उत्पादन शुल्क, चुंगी, इत्यादि, एक सम्मिलित कर प्रणाली में शामिल हो जायेंगे और देश में दोहरे कर, बहु कर प्रणाली का अंत हो जायेगा l ऐसा माना जा रहा ही कि जीएसटी के आने से अधिकतर चीजों के भाव कम हो जायेंगे, पर जब तक वास्तविकता की धरातल पर, इन सभी स्थितियों को परखा नहीं जाएगा, कुछ भी कहना मुश्किल है l एक अनुमान अनुसार, देश भर में लगभग 30 करोड़ छोटे और माध्यम दर्जे के व्यापारी है, जो अलग अलग तरह के माल बेच्तें है l इनमे अधिकतरों के पास कम्प्यूटर और इन्टरनेट जैसी सुविधा नहीं है l नयी प्रणाली में अगर कोई भी व्यापारी अपने व्यापर के हिसाब से कर प्रणाली में आता है, तब उसको कर सलाहकारों के पास जाने के अलावा कोई चारा नहीं रहा गया है, जो छोटें व्यापरियों के लिए महंगा पड़ेगा l हालाँकि 10 लाख का व्यवसाय करने वालें व्यापारियों को कर प्रणाली से मुक्त रखा गया है, पचहतर लाख का टर्नओवर करने वाले व्यापारियों के लिए कम्पोजीशन स्कीम भी लागु करने का प्रावधान है l ज्यादातर व्यापारियों को अभी तक यह नहीं पता है कि उनके पास जमा पुराना स्टॉक को किस प्रकार नए कर ढांचे में समाहित किया जायेगा, जिससे ज्यादा कर देने कि सूरत में, उन पर दोहरी मार ना पड़े l पुराने स्टॉक पर दिया गए कर की वापसी के लिए जीएसटी में पर्याप्त उपाय किये गएँ है, पर अभी भी इस पूरी कवायद में कर अधिकारियों की क्या भूमिका रहेगी, यह किसी को समझ में नहीं आ रहा है l इस पशोपेश में देश में बड़े पैमाने पर विरोध भी शुरू हुए है, मसलन सूरत के कपडा व्यापारियों ने इसलिए विरोध किया हिया क्योंकि टेक्सटाइल पर शुरू से ही भारत में कर नहीं था, क्योंकि यह घरेलु और माध्यम, दोनों दर्जे के उद्योग है, जिस पर देश के करोड़ों लोग आश्रित हिया l इनमे वे लोग भी शामिल है, जो इन उद्योगों के लिए दलाली का काम करतें है, जिन्हें ऑर्डर-बुकिंग एजेंट, आढ़तिया, दलाल या कमीशन एजेंट कहा जाता है l ऐसे लोगों के लिए जीएसटी एक मुसीबत बन कर आई है l वर्तमान ढांचे में बिक्री शब्द के मायने अलग है, जबकि जीएसटी कर प्रणाली में बिक्री बोल कर कोई शब्द ही नहीं है l इसमें सप्लाई शब्द को अंतर्भुक्त किया जाया है, जिसमे एक जाने से दुसरे के पास सामान ट्रान्सफर होते ही जीएसटी को आमंत्रित करेगी l यह अभी साफ नहीं है कि इस नयी प्रणाली से उन सभी मध्यस्थकारियों को जीएसटी में पंजीकरण करवाना होगा और कर देना होगा या नहीं l अगर गौर से देखा जाये, तब पाएंगे कि ऑर्डर बुकिंग एजेंट, कोई माल बिक्री नहीं करता है, बल्कि एक कंपनी को दुकानदारों से मिलवा कर दोनों से मामूली कमीशन वसूलता है l इसमें दुकानदारों की पेमेंट की गारंटी एजेंट की रहती है l यह सिलसिला कपड़ा व्यवसाय में सालों से चल रहा है, जिससे लाखों परिवारों की रोजी-रोटी चल रही है l 
जीएसटी ने बिक्री शब्द को सप्लाई में बदल कर उसमे कई पेच डाल दिए है l एक जने के पास से सामान दुसरे जाने के पास क्या गया, जीएसटी लागु हो जाएगी, चाहे वह बेचने के लिए ट्रान्सफर हुवा है, या फिर आगे सुप्लाई के लिए लिया गया हो l देश भर के लाखों कपड़ा व्यवसाइयों का कहना हिया कि टेक्सटाइल और कच्चे माल पर कभी भी कोई कर देश भर में नहीं था, और हेंडलूम जैसे उद्योग को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से केन्द्रीय कर सीएसटी तक भी नहीं लिया जा रहा था l अब हेंडलूम व्यापारियों नयी प्रणाली में पंजीयन को करवाना ही पड़ेगा, साथ ही पांच प्रतिशत कर भी अदा करना पड़ेगा l कुछ का मानना है कि दलालों और एजेंटों के उपर सर्विस कर भी लगाया जा सकता है l इसमें धंधे की कोई सीमा भी नहीं है l इधर शहर के एक जाने-माने जीएसटी के विशेषज्ञ का मानना है कि दस लाख तक की सीमा एक ऐसी सीमा है, जिसमे छोटे और निम्न-माध्यम दर्जे के व्यापारी आ जायेंगे और बड़े आराम से व्यापार कर सकेगे, दस लाख का जो पंजीयन द्वार है, जिसको पार करने से ही जीएसटी का प्रावधान लागु होंगे l दस लाख की लिमिट में बुकिंग एजेंट, दलाल और मध्यथ्कारी भी आ जायेंगे l दस लाख के कमीशन के बाद वे पंजीयन करवाएं और मजे से क्रेडिट ले और कर का भुगतान करें l सेवा कर और उत्पादन शुल्क कर हटने से देश भर में आवश्यक वस्तुवों के कम से कम 12 प्रतिशत भाव कम होने का दावा सरकार जता रही है l इस दावे में कितना दम है, इसके पता तो आने वाले छह महीनों में लग ही जायेगा l कुछ व्यापारियों का यह भी दावा है कि जीएसटी के लागु किये जाने से सरकार को कुछ खास फायदा नहीं होगा, और व्यापारियों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा l एक व्यापारी ने नाम नहीं छपने की शर्त पर बताया कि कला बाजारियों को रोकने के लिए अब तक सरकार ने जो भी कदम उठायें है, वे सभी बेकार साबित हुए है l इंस्पेक्टर राज बढेगा और भ्रष्टाचार बढने की भी संभावनाएं है l
जीएसटी पर अभी तक हुए सेमिनारों और कक्षाओं में व्यापरियों की जिज्ञासाओं का अंत अभी नहीं हुवा है l इसी डर से कि कही रह गए स्टॉक पर इनपुट ना मिले, व्यापरियों ने अभी बाजार से माल उठाना लगभग बंद कर दिया है l इधर ग्राहकों को ऐसा लगने लगा है कि जीएसटी के बाद जब भाव कम हो जायेंगे, तब वे सामान खरीदेंगे, इसलिए उन्होंने भी अपना हाथ खींच लिया है l इसका प्रमाण हमें तब मिलता है, जब हम कई बड़ी कंपनियों द्वारा ऑफर की और देखतें है, जो कुछ क्षेत्रों में पच्चास प्रतिशत तक है l
जीएसटी के प्रावधानों की और देखें, तब पाएंगे कि उत्पादन शुल्क और सेवा कर और राज्यों के विक्री करों को एक साथ सम्मिश्रित कर देश भर में एक कर लागु करके सरकार ने एक बड़ी छलांग लगाने का निर्णय लिया है l प्रावधानों के अमल के लिए हो सकता है कि शुरुवाती दौर में कुछ उलझनें आयें, पर यह तय है कि आवश्यक वस्तुओं के भाव गिरेंगे l अगर व्यापारियों को प्रथम दौ वर्षों तक प्रावधानों को समझने और अमल में लाने के लिए रियायतें दी जाती है और इन्सपेक्टोरों और अधिकारीयों द्वारा परेशान नहीं किया जाता है, तब यह तय है कि यह कानून देश की सूरत ही बदल देगा l       



Friday, June 2, 2017

पुरानी जिंदगी पर नई जिंदगी का बसेरा

शिक्षा के प्रचार प्रसार ने आम लोगों के जीवन में एक नई आशा का संचार किया है l अगर ऐसा नहीं होता तब दसवीं और बारहवीं के बोर्ड के परीक्षाओं में गावों और छोटे शहरों के बच्चें अच्छे नंबर ले कर शहर के बच्चो से आगे नहीं जातें l इतना ही नहीं, सर्वभारतीय स्तर की प्रतियोगितामुलक परीक्षा में भी श्रमिकों एवं कामगारों के बच्चों ने कामयाबी दिखा कर यह सिद्ध कर दिया है कि प्रतिभा सिर्फ बड़े शहर से ही निकल कर नहीं आती, बल्कि देश के उन छोटे शहरों में भी बसती है, जिनको अगर मौका दिया जाये, तब वे भी चमक कर सामने आ सकती है l इस बात की भविष्यवाणी पहले से की जा रही थी कि वर्ष 2017 कि परीक्षाओं के परिणाम चौकाने वाले होंगे, जिसमे गावों में रहने वालें दिहाड़ी मजदूरों, श्रमिकों की संताने, शहर में महंगे स्कूलों में पढ़ रहें बच्चों से अधिक अंक लेकर आयेंगे l और हुवा भी वही l जिलों और कस्बों में रहने वाले बच्चों ने दसवी और बारहवी के बोर्ड की परीक्षाओं में प्रथम बीस छात्रों ने स्थान पाया है l अब हर क्षेणी के अभिभावकों ने यह तय कर लिया है कि वे अपना पेट काट कर भी अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलवायेंगे l देश की मीडिया इस समय गावों की और दौड़ लगा रही है और रोजाना बच्चों को खोज कर उसके अभिभावकों के जीवन चरित्र टेलीविजन के परदे पर दिखा रही है l लड़कियों ने भी इन दस वर्षों में लडकों से आगे निकल कर यह सिद्ध कर दिया है कि वे भी कुछ कर सकने की माद्दा रखती है l पिछले तीन वर्षों से सिविल सर्विस की परीक्षा में लड़कियों ने प्रथम स्थान प्राप्त किया है, जो साधारण परिवार से आती है l 2017 के सिविल सर्विसे के परिणाम में कर्नाटक की नंदिनी ने प्रथम स्थान अर्जित किया, जिसने दसवीं की परीक्षा कन्नड़ मीडियम के स्कूल से पूरी की थी l गावों के प्रतिशत शहर से उपर जा रहें है l इस सच से भी कोई नकार नहीं सकता कि अंक लाने की दौड़ में दिनोंदिन भारी प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है l जिनके 700 में से 690 अंक आ रहें है, वे सोचते है कि 10 नंबर कहाँ गए l जिनके कम अंक आ रहें है, वे इस बात से चिंतित है कि उनको कहा दाखिला मिलेगा l परीक्षाओं के परिणाम आते ही बच्चों के लिए ख़ुशी है तो नए दाखिले के लिए टेंशन भी है l इस दमघोंटू प्रतिस्पर्धा ने आजकल के बच्चों को बेहद मुश्किल में डाल दिया है l सौ में सौ अंक कुछ इस तरह से आ रहें है, मानों अंतरिक्ष में उड़ने जैसा आसान हो गया हो l एक समय तीस नंबर पास के नंबर होतें थे, जिसको पाने के लिए भारी जुगत लगनी पड़ती थी, आज सौ नंबर भी कम पड़ रहें है l सबसे परेशान करने वाली बात यह है कि नब्बे अंक प्राप्त करने वाले छात्र ख़ुशी मनाये या दुःख l क्योंकि उनको देश के अच्छे शैक्षणिक संस्थानों में नब्बे नंबर से दाखिला मिल पाने बेहद मुश्किल वाला कार्य है l देश की शिक्षा व्यवस्था में अंक महत्वपूर्ण रोल अदा करतें है l जिसको जितने ज्यादा अंक, उतने ही बड़ी ख़ुशी, फिर चाहे, छात्र कैसे भी अंक क्यों न अर्जित करें l उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इस समय, ज्यादा से ज्यादा अंक लाने जरुरी है, जिससे छात्र को देश की नामी-गिरामी शैक्षणिक संस्था में दाखिला मिले सके, जिससे उसका भविष्य सुधर सके l इस दमघोंटू प्रतिस्पर्धा में आज का युवा पूरी तरह से उतर गया है,  
जिससे येन केन प्रकरण वाली प्रवृति छात्रों के मन में घर कर गयी है l शायद किसी अनजाने भय ने बच्चों और उनके अभिवावकों, दोनों की रातों की नींद हराम कर रखी है l फिर भी वे इस प्रतिस्पर्धा में भाग लेना चाहतें है l किसी किस्म का चांस नहीं, बस पढाई-पढाई l आज खुशहाली के मायने बदल रहे है, अभिभावक अपने बच्चो को हर क्षेत्र में अव्वल देखने व सामाजिक दिखावे के चलते, उनसे ज्यादा अंक लाने की मांग कर रहें है, जिससे उनका दाखिला किसी अच्छे कालेज में हो सके, और आगे जा कर वे किसी बड़ी कंपनी में नौकरी पा सके l पर कम अंक पाने वाले छात्रों के साथ यह एक दुविधा है कि वे कहाँ जाये, क्या कम अंक आने से शिक्षा लेने का अधिकार उनके पास से समाप्त हो जाता है ? यह प्रश्न आज एक यक्ष प्रश्न बन कर लोगों के दिल-दिमाग पर हावी हो रहा है l एक मनोवेज्ञानिक दबाब से आज का छात्र परेशान है l पूरी दुनिया में अब युवाओं ने व्यापार, आन्दोलन और राजनीति को बखूबी संभाल लिया है l यह इसलिए संभव हुवा है कि शिक्षा का व्यापक प्रचार-प्रसार हुवा है, जिससे रोजगार सम्मत शिक्षा व्यवस्था स्थपित हुई और युवाओं को एक नई मंजिल मिल गई l  
वे अब मुक्त मन से शिक्षा ले कर अपने भविष्य की और अग्रसर है l ज्ञान, कुशलता, आत्मविश्वास और व्यक्तित्व में सुधार करती शिक्षा, हमारे जीवन में दूसरों से बात करने की बौद्धिक क्षमता को तो बढ़ाती ही है, साथ ही परिपक्वता भी लाती है और समाज के बदलते परिवेश में रहना सिखाती है। यह सामाजिक विकास, आर्थिक वृद्धि और तकनीकी उन्नति का रास्ता है। इतिहास गवाह है कि उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों ने ना सिर्फ सामाजिक क्रांति की मशाल को संभाला है, बल्कि देश के लोगों के समक्ष आज आदर्श बन कर लोगों को प्रेरित कर रहें है l उच्च स्तर की दिमागी क्षमता रखने वाले युवा पूरी दुनिया में आज भारत का प्रतिनिधित्व कर रहा है l पूर्वोत्तर भारत के बीस युवाओं ने इस बार संघ लोक सेवा आयोग द्वारा संचालित सिविल सर्विस की परीक्षा पास की है l यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि प्राय सभी सफल प्रतियोगी साधारण परिवार से आतें है l इसके बावजूद भी, एक कटु सत्य यह भी है कि पूर्वोत्तर जैसे पिछड़े क्षेत्रों में रहने वाले लोग जीवन में आधारभूत आवश्यकताओं की कमी के कारण अभी भी उचित शिक्षा प्राप्त नही कर पा रहे हैं। वे आज भी अपने दैनिक जीवन की आवश्यकताओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में आई जागरूकता ने सभी लोगों को बराबर मौका तो दिया है, पर संसाधनों की कमी ने अभी भी बेहद गरीब बच्चों को इसका लाभ लेने के लिए वांछित कर रखा है l देश में बेहतर वृद्धि और विकास के लिए प्रत्येक क्षेत्र में समान रुप से शिक्षा के बारे में जागरुकता लाने की आवश्यकता है।
लोग अपने जीवन में शिक्षा के महत्व और क्षेत्र के बारे में जागरुक हो रहे हैं और लाभान्वित होने की कोशिश कर रहे हैं। इस पूरी कवायद में समाज शास्त्रियों की एक बड़ी भूमिका है, जो लोगों को हर समय उचित मशविरा देकर उनको किसी अवसाद से बचाए, जिससे कठिन समय में भी वे कोई गलत कदम ना उठाये l