Friday, June 26, 2020

शहर से कोरोना को निकालना जरुरी है


शहर से कोरोना को निकालना जरुरी है
असम की राजधानी गुवहाटी में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहें है, जिसकी वजह से सोमवार से 14 दिनों का लॉकडाउन लगाया गया है l मुंबई में स्थित एशिया की सबसे बड़ी बस्ती धारवी में संक्रमण का सबसे बड़ा खतरा था, क्योंकि वहां पर जनसँख्या घनत्व इतना ज्यादा था कि लोग एक दुसरे के संपर्क में लगातार आ रहें थे l पर महाराष्ट्र सरकार ने संक्रमण का तेजी से पीछा करते हुए एक कारगर योजना के तहत काम करते हुए, वहां संक्रमण को फैलने से रोकने में सफल हुई l इसका मुख्य कारण था संक्रमण को पहली अवस्था में ही रोकना l मुंबई के नगर निगम में वहां पर स्थाई शिविर लगा दिए, जिसमे डॉक्टरों की टीम मुश्तैदी से कार्य कर रही थी l गुवाहाटी में भी अब मामले बढ़ने से सभी वार्डों में टेस्टिंग शिविर लगाये गए हैं, जिसमे आम आदमी अपना स्वाब टेस्ट करवा सकता हैं l धारवी मॉडल कुछ निश्चित बिन्दुवों पर आधारित था- संक्रमण पर निगाह रखना, उसपर तेजी से वार करना और फिर संक्रमित को अलग कर उसका इलाज करना l धारावी में जब कोरोना फैलना शुरू हुआ तो धीरे-धीरे पूरा इलाका ही कंटेनमेंट जोन बन गया। उसके बाद से प्रशासन ने जैसा काम किया, उसने पूरी तस्वीर ही बदलकर रख दी। अप्रैल से अब तक 47,500 घरों में जाकर अधिकारी लोगों के शरीर के तापमान और ऑक्सिजन की जांच कर चुके हैं। लगभग सात लाख लोगों की स्क्रीनिंग हो चुकी है। जिनमें थोड़े बहुत लक्षण दिखे, उन्हें क्वारंटीन सेंटर बनाए गए स्कूलों और स्पोर्ट्स क्लब्स में भेज दिया गया। असम में भी स्वास्थ्य विभाग ने कोविद संक्रमण को जिस तरह से संभाला है, उसकी चर्चा पुरे देश में हैं l स्वास्थ्य मंत्री में अपने पूरा समय कोरोना संक्रमण को रोकने में दे रहे है, जो काबिले तारीफ है l लगता है कि गुवाहाटी में भी धारवी मॉडल को अपनाया जा रहा है, जिसके के परिणाम हमे आने वाले दिनों में देखने को मिल जायेंगे l जनसँख्या घनत्व वाले इलाकों में सबसे पहले लॉकडाउन लगाया गया l जिन इलाकों में सामाजिक दुरी बनाना मुश्किल है, वहां पर स्वास्थ्य विभाग को कारगर ढंग से कार्य करना होगा l अब पुरे गुवाहाटी में लॉकडाउन की घोषणा की गई है l
कोरोना के बढ़ते संक्रमण के दौरान पिछले दिनों देश ने चीन सीमा पर अपने 20 सैनिक खो दिए l पाकिस्तान के साथ लगातार एक छद्म युद्ध जारी है, जिसकी वजह से पाकिस्तान सीमा पर रुक रुक कर बिना के चेतावनी के होने वाली का गोलीबारी से हर दफा सैनिक शहीद हो जातें है l उधर चीन के उकसावे पर भारत के एकमात्र हिन्दू निवासियों के देश नेपाल ने भी सीमा विवाद खड़ा कर दिया है l कहते है कि वामपंथियों की सरकार ने चीन का खुला समर्थन किया है l दुश्मन के दोस्त को अपनी तरफ करके चीन अपनी कुटिल चाल में सफल हो गया है l इसके अलावा पिछले मार्च से देश भर में जारी लॉकडाउन की वजह से लोग परेशान हो ही रखे हैं l कईयों ने अपने व्यापार खोएं हैं l स्टार्ट अप से लेकर जमे-जमाये व्यापार को कईयों ने खोते हुए देखा है l असम में जब बाढ़ आती है, तब नदी के किनारे बाढ़ के बढे हुए पानी से फ़ैल जाते हैं l भू क्षरण हो कर किनारे पर बसे हुए मकान कई बार नदी में बह जातें हैं l गुवाहाटी के करीब बसा हुवा पलाशबाड़ी भू कटाव का शिकार कई बार हो चूका हैं l इसके समीप कई गावं ब्रह्मपुत्र के बह गए थें l बाढ़ के दौरान कब कटाव हो जाय, कब पानी एकाएक घरों में घुस कर तबाही मचाने लगता है, इसका अंदाजा सहज ही नहीं लगता और एक मजबूत मकान भी अचानक नदी में समा सकता है l मकान का स्वामी अपनी किस्मत पर रोने के अलावा कुछ नहीं कर पाता l कोचकडाउन के बाद कई लोग, जो आमतोर पर एक सम्मान भरी जिंदगी गुजार रहे थें, मानसिक रूप से टूट कर अवसाद में घिर गए है l बोलीवुड में उभरते हुए होनहार कलाकार सुशांत सिंह राजपूत कुनबा-परस्ती का शिकार हो गए और मानसिक रूप से टूट कर उन्होंने आत्महत्या कर ली l लॉकडाउन के बीच देश में इस तरह की विचलित करने वाली घटनाओं से लोग अलग से परेशान हैं l घरेलु हिंसा, बलात्कार और चोरी-डैकेती की घटनाएँ कम नहीं हुई l लगता है कि अपराध करने की प्रवृति कोरोना के संक्रमण के संकट के दौरान भी विद्यमान है l या, इसको इस तरह से कहेंगे कि अपराध के लिए एक नया दल बन गया है, कुछ बेरोजगार हो कर अपराधिक गतिविधियों में संलग्न हो गए हैं l पर इसे हमारे सभ्य समाज की सबसे बड़ी विफलता नहीं कहेंगे तो क्यां कहेंगे l

Friday, June 5, 2020

जीने के लिए अब जद्दोजहेद करना होगा


जीने के लिए अब जद्दोजहेद करना होगा
कोविद संकट के दौरान किये गए लॉकडाउन में आम जनता द्वारा घरों में रह कर नए नए प्रयोग किये, जिनमे कई एक नए सामाजिक बदलाव की दिशा में कारगर सिद्ध हो रहे हैं l खास करके जब आमदनी के साधन नाममात्र के रह गए थे, ऐसे में बेहिसाब खर्च पर अपने आप ही पाबंदी लग गयी थी l एक बदलाव यह आया कि लोगों ने अपने बेहिसाब खर्चे पर लगाम लगा ली l जाहिर सी बात थी कि जब आमदानी कम तो खर्च भी कम l एक महत्वपूर्ण विषय विवेचना के लिए रख रहा हूँ, जिन पर टिपण्णी चाहूँगा l जो भी शादी हुई लॉकडाउन के दौरान वें, एकदम से शादी थी l मंत्रो के बीच ही शादियाँ संपन्न हुई हैं l इसे भी कोविद का वरदान मान कर एक उदहारण के रूप में ले लेना चाहिये और आने वाले दिनों में शादियों में होने वाले गैर जरुरी खर्चों पर पूरी तरह से पाबंदी लगाने पर विचार होना चाहिये l सामाजिक संगठन अपनी सभाओं में इस विषय को एक अहम् विषय मान कर विवेचना के लिए रखे और समाज से विचार आमंत्रित करें, तब एक आम राय बन सकती है l अभी कोविद के संकट के बाद समाज में शान-शौकत और दिखावे के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिये, जिसे मध्यमवर्गीय और निम्न-मध्यमवर्गीय लोगों को अवसाद की स्थिति नहीं भोगनी पड़े l विफलता की स्थिति ना आये, इसके लम्बे प्रयास करने होंगे l सामाजिक संगठन अपने समाज के लोगों के लिए क्या मदद कर सकती है, इस पर भी चर्चा हो सकती है l लगातार संघर्ष करने वाली जातियों के समक्ष यह समस्या है कि वें अपना स्वाभिमान नहीं छोड़ सकती, वे लगातार संघर्ष करके दुबारा अपने अस्तित्व को बचने में कामयाब हो जातें है l पर वर्त्तमान परिदृश्य में दो महीने के लॉकडाउन ने कईयों की कमर तोड़ दी हैं l इस स्थिति अंदाजा लोगों के बुझे हुए चेहरों को देख कर लगाया जा सकता है l क्यों नहीं उन लोगों की नेपथ्य में मदद की जाय, जिनको वाकई में समस्या हैं l आने वाले दिनों में चौनातियाँ दुगुनी है, क्योंकि स्कूल-कॉलेज सभी खुल रहें है, उनमे दाखिले के लिए मोटी रकम की आवश्यता होगी, जिसके आमजन को परेशानी होनी निश्चित ही है l इस बात में भी सच्चाई है कि समाज की जनसँख्या का एक बड़ा भाग अभी भी गरीबी का दंश भोग रहा है l इसी समाज के लोग पुरे देश में छोटी-छोटी नौकरी भी करतें है, और किसी तरह से अपने परिवार का भरण-पोषण करतें है l राजस्थान से उठ कर अपनी रोजी-रोटी तलाशने वाला समाज, प्रतिकूल पर्तिस्थितियों में भी दृढ इच्छा शक्ति रखता है, और दिक्कतों को चुनौतियां मानते हुए, उनका सामना करता है l अपनी जिजीविषा और अदम्य साहस का परिचय वह हर परिस्थिति में देता है l दो महीने में मध्यमवर्गीय लोगों पर मानों संकट का पहाड़ टूट पड़ा था l प्याज, भिन्डी और आलू के भाव को वह तलाशता है कि कही उसे पांच रुपये किलो कम में मिल जाए l इसे आम स्वभाव कह कर टालने का प्रयास ना कीजिये, यह एक स्थितिजनिक समस्या थी l लॉकडाउन के दौरान खाने के खर्च को छोड़ कर दुसरे खर्च, जैसे शौपिंग, सिनेमा या रेस्टोरंट जैसे खर्च बंद हो गए थे, जिससे लोगों के स्वभाव में एक नया सकारात्मक बदलाव भी देखने को मिल रहा है l लॉकडाउन ख़त्म होने के पश्चात अब जीवन सामान्य तो नहीं है, चुनौती दुगनी हो गयी है l कहने को तो दुकानें खुली हुई हैं, पर ग्राहक नदारद है l कर्मचारियों ने दुबारा से अपनी ड्यूटी ज्वाइन कर ली हैं l एक ऐसे परिदृश्य जिसे हम कहतें है, ‘जीवन के लिए जद्दोजहेद’, जिसमे हर तरह के उपक्रम होतें हैं l अथक प्रयास और जिजीविषा से तैयार की हुई जमीन अगर घिसकती हुई नजर आये, तब तकलीफ होनी स्वाभाविक है l मगर इस समय कुछ साहसिक व्यापारियों ने इस चुनौती को अवसर बना लिया है, कोविद संबंधित सामानों की बिक्री करके l मास्क, सेनिताइज़र और स्प्रे की बिक्री कई गुना हो गयी है l यें सामान अब आम आदमी की पहुच में आ गए है l बात अगर आर्थिक स्थिति कि करें, तब पाएंगे कि रेडीमेड कपड़ों की दुकानों, सजावट के समानों की दुकानों और यात्रा संबंधित उपकरणों की दुकानों और ज्वेलेर्री, घड़ी एवं सौन्दर्य प्रसाधनों की दुकानों पर लॉकडाउन का सबसे बड़ा प्रभाव पड़ा है l इन दुकानदारों के लिए बने रहने के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं l
संकट के समय उल्लास एवं उत्सव का समय नहीं है, अपितु चुनौती को अवसर बनाने का समय है l सबसे बड़ी बात है हौसले को बनाये रखना l इस मौके पर एक अनजान सी साभार कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ l
लहरों को साहिल की दरकार नहीं होती,
हौसला बुलंद हो तो कोई दीवार नहीं होती,
जलते हुए चिराग ने आँधियों से ये कहा,
उजाला देने वालों की कभी हार नहीं होती।