कभी किसी को मुक्कमल जहाँ नही मिलता , यह बात समाज में भी लागू होती है। हम सोचते कुछ है और होता कुछ और है। समाज में बने रहने के लिए नए नए विचारो का प्रवाह जरूरी है। यह भी सत्य है कि हर किए गए कार्य के सकारात्मक रेजुल्ट्स नही मिलते, पर यह मतलब नही कि हम कार्य करना बंध कर दे , बल्कि हमें दुगनी ताकत के साथ ऐसी कार्य करने चाहिय , जिससे समाज की सकारात्मक उर्जा सही जगह लगे और समाज का कुछ भला हो सके। ज्यादातर मामलो में समाज के लोग सस्ती लोक्प्रियार्ता हासिल करने के लिए कार्य करते है, और ऐसा प्रतीत होने लगता है कि यही सबसे अच्हा कार्य है। पर हकीकत में ऐसा नही होता । नकारत्मक कार्य समाज के युवाओ को गुमराह करते है, उनको एक ऐसे रेस्त्रे पर ले कर जाते है जो किसी भी मंजिल की ओर नही लेके जाते , बलकी उनकी उर्जा का दुरूपयोग होता है। क्या ऐसे कर सकते है की हम युवाओ की उर्जा को एक सकारात्मक रस्ते की और ले कर जाए। आप जरा सोचिये
रवि अजितसरिया
20102008