Friday, August 7, 2020

बहुसंख्यक लोगों की एक मुराद पूरी हुई

 

बहुसंख्यक लोगों की एक मुराद पूरी हुई

चाहे कोई कुछ भी कहे, पर 5 अगस्त को राममंदिर के निर्माण की आधारशिला जब रखी गयी, तब पूरी दुनिया में हिन्दुओं में ख़ुशी की लहर देखने को मिली l विश्व भर में करोड़ों लोगों ने इसका सीधा प्रसारण देखा l देश के कुछ घोर चरमपंतियों में इसे लोकतंत्र की हत्या बताया तो कुछ ने प्रधानमंत्री पर शपथ तोड़ने का आरोप लगाया l हद तो तब हो गयी, जब पाकिस्तान ने मंदिर निर्माण को  बहुसंख्यकवाद करार दे दिया और जम कर विष वमन किया l सत्य यह है कि देश भर में बहुसंख्यक हिन्दु राम मंदिर निर्माण को लेकर हमेशा से ही संवेनशील रहे, और चाहते थे की राम मंदिर का निर्माण शीघ्र हो l अगर इतनी शीघ्रता नहीं थी, तब 6 दिसंबर सन 1992 को बिना कोई मशीनी ओजार के उपयोग से कार सेवक, एक बनी हुई ईमारत को अपने हाथों से नहीं गिराते l यह एक धार्मिक आस्था का प्रश्न ही महज नहीं था, बल्कि एक बहुसंख्यक हिन्दू देश के लोगों की पहचान का सवाल भी था l जब आक्रान्ताओं ने देश के अस्थतिव को मिटने की चेष्टा की और सभी प्रतीकों को नष्ट कर दिया, तब भी वें बहुसंख्यक लोगों की भावना को बदल नहीं सके, और दुबारा से धार्मिक आस्थाएं प्रबल रूप से संचित हो गयी हैं l इतना ही नहीं ढांचा गिरने के पश्चात भी बहुसंख्यक लोगों ने उच्चतम न्यायालय के फैसले का इंतजार किया और फैसले के आने के पश्चात ही मंदिर निर्माण का कार्य प्रारंभ किया l नहीं तो मंदिर निर्माण के अपने वादे के साथ एक बहुमत के साथ सत्ता में आने वाली एक पार्टी बड़ी आसानी से एक अध्यादेश जरी करके मंदिर निर्माण करवा सकती थी, पर उसने ऐसा नहीं किया, क्योंकि उसे विश्वास था की सत्य की जीत होगी और निर्णय बहुसंख्यक लोगों के हक़ में ही आएगा l भारत और नेपाल में राम सामाजिकता का हिस्सा है, जब किसी से नेपाली भाषा में पूछा जाता है कि कैसे हो, तब सामने से जबाब आता है राम्रो छो !!, यानी अच्छा हूँ l राम अच्छाई का प्रतिक है l यह पश्चिम एशिया में वास करने वाले बहुसंख्यक लोगों के जीवन यापन करने का तरीका है, जिसमे राम शब्द सनातन है, सिर्फ ईश्वरीय नहीं बल्कि अभिवादन करने का तरीका है, सामाजिकता है, जिसे बहुसंख्यक समाज ने सिद्दत से अपने जीवन में आत्मसात किया है l राम राज्य की कल्पना किसी चरम हिंद्वादी चरित्र मात्र का एक स्वप्न नहीं है, एक ऐसे समाज की कल्पना है, जहाँ सभी मनुष्य आपस में प्रेम करें और अपने अपने धर्म का पालन करके एक आदर्श शासन की स्थापना की जाय l इस शब्द के साथ एक दिनचर्या जुड़ी है l ना जाने कितनी ही बार दिन में बहुसंख्यक समाज राम राम के उच्चारण को अनायास की करतें हैं, जिसका कोई धार्मिक महत्त्व नहीं भी हो सकता हैं l क्या इसको हम लोकतंत्र की हत्या कहेंगे l क्या किसी कानून से या सेकुलर शब्द के जुड़ने से बहुसंख्यक आबादी के आचार व्यवहार और सभ्यता को बदला जा सकता है l शायद नहीं, संयम और सहिष्णुता का प्रतिक रहा हिन्दू समाज हर जाति, धर्म के लोगों को अपने साथ रहने का सामान अवसर देता है, जिससे जीव मात्र की सेवा हो सके l पुरे दक्षिण एशिया क्षेत्र में राम नाम और उनसे जुड़ी हुई तमाम किंवदंतियां छिपी हुई है, जिन पर अभी भी शोध चल रहा हैं l कंबोडिया देश में अंकोरवाट मदिर एक पर्यटन क्षेत्र है, जिस पर भारतीय संस्कृति और धर्म ग्रंथों के के प्रसंगों के चित्रण है l इंडोनेशिया विश्व के एक देश है जहाँ भारतीय संस्कृति और हिन्दू धर्म का प्रचार आज भी है l

राम मंदिर के निर्माण कार्य शरु होने से भाजपा का एक चुनावी वादा पूरा होने जा रहा है l अनुछेद 370 हटाने का अपना वादा वह पहले ही पूरी कर चुकी है l अब इसके सामने एक बड़ी चुनौती है, देश की आर्थिक स्थिति को दुबारा से पटरी पर लाना l घोर गरीबी की मार झेल रहे लोगों को कैसे देश की मुख्य धारा में शामिल करें, यह एक बड़ा प्रश्न हो सकता है उसके सामने l कोरोना काल में जो मजदुर वापस अपने गावं लौट कर आ गए है, उनके रोजगार के लिए क्या किया जा सकता है,  उनको दुबारा कैसे बसाया जा सकता हा, भाजपा का अगले कुछ वर्षों का यह एक एजेंडा हो सकता है l क्योंकि सब कुछ रामभरोसे तो छोड़ा नहीं जा सकता है l   

 

           


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