Friday, November 15, 2019

सबका मालिक एक है


सबका मालिक एक है
राम जन्मभूमि पर उच्चतम न्यायलय के फैसले के साथ ही देश के इतिहास में एक बड़े विवाद का एक सुखद पटाक्षेप हो गया l राममंदिर पर आये सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ने एकबार फिर यह साबित कर दिया कि भारत विश्व बंधुत्व और सर्वधर्म समभाव की मजबूत डोर में गूंथा एक दृढ़ राष्ट्र है। देश में शांति और सद्भाव बना रहा l सभी धर्मों के लोगों ने यह कामना भाईचारे का प्रदर्शन किया है l इस बात को कोई नकार नहीं सकता कि धर्म की प्रासंगिकता एवं प्रयोजनशीलता शान्ति, व्यवस्था, स्वतंत्रता, समता, प्रगति एवं विकास से सम्बन्धित समाज सापेक्ष परिस्थितियों के निर्माण में भी निहित है। एक बेहतर समाज के निर्माण में धर्म एक बड़ी भूमिका निभा सकता है l ऋषि, मनीषियों की समृद्ध परंपरा वाला हमारा देश आदिकाल से ही पूरे विश्व में ज्ञान, सत्य और अहिंसा का प्रकाश फ़ैलाने के लिए प्रसिद्ध रहा है। 9 नवंबर को राम जन्मभूमि पर ऐतिहासिक फैसले के बाद भारत ने सर्वधर्म समभावकी छवि को एक बार फिर से विश्व फलक पर रखा है। कोर्ट ने यह साफ़ कहा कि फैसला मान्यता के आधार पर नहीं, सबूत और तथ्यों के आधार पर दिया गया है। इधर नवम्बर माह के मध्य में आने और खासकरके कार्तिक पूर्णिमा और गुरु नानक देवजी का जन्मोत्सव के पश्चात तीज त्योहारों के आयोजन में कुछ दिनों का ब्रेक लग जाता है l दिसम्बर माह के अंत में क्रिसमस के आने का सभी को इंतजार रहता है l 2020 के आगमन के लिए नववर्ष से एक महीने पहले पुरे पूर्वोत्तर में शीतकालीन त्यौहार मनाये जातें हैं l अच्छी फसल होने के पश्चात् त्यौहार मानाने की एक परंपरा है, जिसे सामुचे भारतवर्ष तो मनाया ही जाता है, साथ ही पूर्वोत्तर में एक रंगारंग परिदृश्य हमें दिखाई देता है l
इस बात को कोई नकार नहीं सकता कि पूर्वोत्तर भारत हमेशा से ही पिछड़ा हुवा और अलग-थलग सा रहा हैं, कारण कि यहाँ की भौगोलिक स्थिति देश के अन्य भागों के वनिस्पत बहुत ही विपरीत और दुर्गम है l सड़क के रास्ते पूर्वोत्तर के मुख्य द्वार कहलाने वाला शहर गुवाहाटी तक तो आसानी से जाया जा सकता, पर पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में जाने के लिए पहाड़ी रास्तों और संकरें दुर्गम क्षेत्रों से गुजरना पड़ता है l इसके साथ ही किसी भी पर्यटक के लिए भोजन और खान-पान को लेकर समस्या भी आ सकती है l कारण कि पूर्वोत्तर के ज्यादतर राज्य के लोग मांसाहारी भोजन करतें है l फिर भी पूर्वोत्तर में लाखों की तादाद में ऐसे लोग भी रहते है जो शाकाहारी है l इसके बावजूद भी समूचे भारतवर्ष में यह एक धारणा है कि पूर्वोत्तर भारत में कुछ ऐसे लोग रहते है जो सिर्फ मांस खातें है और अजीब से कपड़े पहनते है l इस मिथ को ले कर हिंदी पट्टी के लोग पूर्वोत्तर के लिए आश्चर्य प्रकट करते हुवे अक्सर उत्तर भारत के किसी भी शहर में लोग नजर आ जायेंगे l सत्य यह है कि पूर्वोत्तर के इलाके के लोगों के रहन-सहन ठीक उसी तरह का है, जिस तरह से मौसम और भौगोलिक परिस्थिति यहाँ पर बनी हुवी है l समय के साथ विकास की बयार जब पूर्वोत्तर की तरफ बहने लगी है, और शिक्षा और स्वास्थ की बेहतर सुविधा मिलने लगी है l शिक्षा के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन होने से इलाके के लोग अपने आप को देश के अन्य भाग के लोगों से जुड़ाव महसूस करने लगे, जिससे उनका जीवन का स्तर बेहतर बन गया है l भारत सरकार की लुक ईस्ट योजना सन 1995 में शुरू हुई, जिसमे यह तय किया गया कि भारत की विदेश नीति के तहत पडोसी देशों के साथ मैत्री बढ़ाई जाएँ, जिससे व्यापार और अन्य तरह के आदान प्रदान हो सके I इसके लिए यह जरुरी हो जाता है कि भारत पूर्वोत्तर क्षेत्र को एक महत्पूर्ण स्थान प्रदान कर, उसका समग्र विकास करे और इसके लिए यह भी जरूरी हो जाता है कि पूर्वोत्तर को उन पडोसी देशों से जोड़ा जाएँ, जिनकी सरहदें यहाँ के  राज्यों से जुड़ती है I पूर्वोत्तर राज्यों की सरहदें बंग्लादेश, म्यांमार, भूटान और चीन से जुडी हुई है, जिससे पूर्वोत्तर के इलाका सामरिक और अर्थनेतिक दृष्टी से महत्पूर्ण बन जाता है I

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