बड़ा कुनबा, बड़ा बोझ,
कैसा होगा 2019 का चित्र ?
सातवें और आखिरी चरण
में 19 मई को आठ राज्यों की 59 सीटों पर मतदान होगा। 19 मई को जिन जगहों पर मतदान
होगा, उसमें पंजाब और
उत्तर प्रदेश की 13-13 सीटें, बिहार और मध्य प्रदेश की आठ-आठ, झारखंड की तीन, पश्चिम बंगाल की नौ, हिमाचल प्रदेश की चार और चंडीगढ़ की एक सीट
शामिल हैं। इधर परिणाम का दिन नजदीक आने से राजनीतिक पार्टियाँ अपनी रणनीति बनाने
में लग गयी हैं l सोनिया गाँधी ने गैर भाजपाराजनीतिक दलों की एक बैठक 23 मई को
बुलाई हैं l इसके साथ ही, राजनीतिक पंडितों और विश्लेषकों में भी अजीब सी खलबली मच गयी हैं l किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा हैं l कुछ लोग गठबंधन को बढ़त मिलते हुए देख रहें है,
कुछ लोग हंग पार्लियामेंट बता रहें हैं तो कुछ मोदी सरकार की पुनः वापसी कह रहें हैं
l ज्यादातर पंडितों का यह मानना हैं कि अगली सरकार मोदी सरकार होने वाली है, जिसको
संयुक्त विपक्ष से भारी विरोध का सामना करना पड़ सकता हैं l 273 का जादुई आंकड़े
जुटाने में भाजपा अध्यक्ष अमीत शाह का एक बड़ा रोल देख रहे है, कुछ विश्लेषक l हर
एक के मन में एक ही प्रश्न हैं कि किसकी सरकार आएगी ? दरअसल में प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी की प्रसिद्धि इतनी बड़ी हैं कि लोग उन्हें किसी भी कीमत पर वापस देखना
चाहते हैं l खासकरके राष्ट्रिय सुरक्षा के मामले में उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक
करवा कर भारत के लोगों का दिल जीत लिया हैं l उपर से बालाकोट में आंतकवादियों के
अड्डे नष्ट होने से भारत में लोगों ने बड़े रूप में इसका स्वागत किया हैं l इसके
बावजूद राजनीति में ऊंट कौन सा करवट बैठता है, यह कोई नहीं कह सकता l सनद रहे कि सन
2004 में अटल बिहारी बाजपेयी सरकार भी चुनाव हर गयी थी, जबकि उनकी प्रसिद्धि चरम
पर थी l भाजपाका शाइन इंडिया का नारा भी मतदाताओं को लुभाने में सफल नहीं हुवा था
l वही कांग्रेस के दस वर्षों तक शासन करने के बावजूद भी, 2014 में मोदी लहर में,
कांग्रेस के लगभग सारे बड़े दिग्गजों को हार का मुंह देखना पड़ा था l इस सूची में कपिल सिब्बल, अजय माकन, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित, कृष्णा तीरथ, सलमान खुर्शीद, पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदम्बर, गुलाम नबी आजाद, सचिन पायलट, मीरा कुमार, सुशील कुमार शिंदे, नवीन जिंदल और क्रिकेटर अजहरुद्दीन के नाम
प्रमुख थे l ऐसे कई राज्य हैं, जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, झारखंड, पंजाब, जम्मू कश्मीर और दिल्ली जहां भाजपाका प्रदर्शन
सन 2014 के चुनाव में अच्छा रहा l इन राज्यों में भाजपा ने या तो क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गठबंधन किया और
जहां क्षेत्रीय पार्टियां बंटी हुई थी तो भाजपाविरोधी वोट भी बंट गया और उसका
फ़ायदा भाजपाको मिला l भाजपा की 2014 में लहर की बात करे और नतीजों की और देंखे तो पाएंगे कि भाजपा ने
42 लोकसभा सीटों पर
तीन लाख वोटों से भी ज़्यादा के अंतर से जीत हासिल की थी और 75 लोकसभा सीटों पर दो लाख से ज़्यादा के अंतर से,
38 लोकसभा सीटों पर डेढ
लाख वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी और 52 लोकसभा सीटों पर 1 लाख से ज़्यादा वोटों के अंतर से l इस दफा इन राज्यों में विपक्ष ने एकजुटता
दिखाई हैं और एक साथ मिल कर चुनाव लड़ रहा हैं l ये सही हैं कि विपक्षी पार्टियों
का गठबंधन भाजपा को कई राज्यों, जैसे उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र में
बैकफ़ुट पर ला सकता हैं l पर हिंदी पट्टी के एक राज्य बिहार में विपक्ष का गठबंधन एनडीए का नुक़सान नहीं
कर सकता l अगर 2014 के नतीजों की तरफ देंखे, तो पायेंगे कि राजस्थान (25 सीटें), दिल्ली (7 सीटें), उत्तराखंड (5 सीटें), हिमाचल प्रदेश (4) और गुजरात (26) में भाजपा ने
क्लीन स्वीप किया था l यहां किसी और पार्टी को खाता खोलने का मौका नहीं मिला l पर
परिस्थितियाँ 2014 से इस बार भिन्न हैं l एक तो विपक्ष संयुक्त रूप से एक साथ मिला
हुवा है, ध्रुवीकरण होने से कई क्षेत्रों में भाजपा को नुकसान हो सकता हैं l दूसरा
कोंग्रेस भाजपा को रोकने के लिए कुछ भी समझोता करने को तैयार है, उसने
प्रधानमंत्री के पद तक को छोड़ने की पेशकश कर दी हैं l तीसरा 2014 के चरम पर पहुच
कर भाजपाकुछ नया नहीं कर सकती थी l उसको अपनी स्थिति बरक़रार रखने में पूरा जोर लगा
पड़ रहा हैं l 2014 के चुनाव में भजपा के परफॉरमेंस में यदि राज्यवार बात की जाए तो
सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की कुल 80 सीटों में से भाजपा को 71, सपा को 5, कांग्रेस को 2 और अपना दल को 2 सीटें मिली थी l यहां से बसपा इस बार अपना खाता
भी नहीं खोल पाई l बिहार की 40 सीटों
में से भाजपा 22 पर, लोजपा छह पर, राजद चार पर, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी तीन पर कांग्रेस दो
पर विजयी रही जबकि जदयू और एनसीपी के हिस्से में दो और एक सीटें आईं थी l राजस्थान (25 सीटें), दिल्ली (7 सीटें), उत्तराखंड (5 सीटें), हिमाचल प्रदेश (4) और गुजरात (26) में भाजपा ने
क्लीन स्वीप किया था l यहां किसी और पार्टी को खाता खोलने का मौका नहीं मिला l मध्य प्रदेश में भाजपा को 27 सीटें मिलीं और
कांग्रेस दो सीटों पर विजयी रही l महाराष्ट्र में भी भाजपा को खासी बढ़त मिली थी l यहां कुल 48 सीटों में से
भाजपा 23 पर, शिवसेना 18 पर, एनसीपी चार पर और कांग्रेस दो पर विजयी रहे,
जबकि एक सीट एक स्वाभिमान पक्ष दल के खाते में गई थी l कर्नाटक में भी भाजपा ने अपनी बढ़त बरकार रखी और
कुल 28 सीटों में से 17 पर जीत दर्ज की, कांग्रेस के खाते में 9 और जनता दल सेक्युलर के खाते में दो सीटें आईं l केरल की कुल 20 सीटों पर कांग्रेस आठ, माकपा पांच, आईयूएमएल दो, भाकपा एक, केरल कांग्रेस (एम) एक, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी एर और दो सीटें निर्दलीयों के खाते में गई हैं lतमिलनाडु कुल 39 सीटों में एआईडीएमके 37, भाजपा और पीएमके एक-एक सीटों पर जीत दर्ज की l पश्चिम बंगाल की कुल 42 सीटों में से तृणमूल
कांग्रेस 34 पर, कांग्रेस चार पर, भाजपा दो और माकपा 2 पर विजयी रही l ओडिशा कुल 21 सीटों पर बीजद 20 सीटें और भाजपा
एक सीट पर कामयाब रही l आंध्र प्रदेश की कुल 42 सीटों पर तेलगुदेशम पार्टी को 16, टीआरएस को 11, वाईएसआर कांग्रेस को नौ, भाजपा को तीन, कांग्रेस को दो और एआईएमआईएम को एक सीट मिली l असम की कुल 14 सीटों में से भाजपा ने सात पर जीत
हासिल की जबकि कांग्रेस को तीन एआईयूडीएफ को तीन और एक पर निर्दलीय प्रत्याशी जीता
l अरुणाचल प्रदेश में
किरण रिजूजू ने एक सीट जीती थी l पंजाब की कुल 13 सीटों में से अकाली दल को चार, कांग्रेस को तीन और भाजपा को दो सीटें मिलीं, आम आदमी पार्टी का खाता पंजाब से खुला जहां इसने
चार सीटें जीतीं l हरियाणा की कुल 10
सीटों में सात भाजपा के खाते में आईं जबकि दो पर आईएनएलडी और एक पर कांग्रेस विजयी
हुई l केंद्र प्रशासित
राज्यों अंडमान निकोबार और चंडीगढ़ की दोनों सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी l
2019 के चुनाव के
नतीजे क्या निकलेंगे, इसका पता 23 मई को चल ही जाएगा, पर इस समय, स्थिति यह हैं कि
इस सियासत में देश की छोटी से छोटी पार्टियाँ भी राष्ट्रिय राजनीति में अपना
भविष्य खोज रही है l किसको क्या हिस्सा मिलेगा, इसकी चर्चा अभी से शुरू हो गयी हैं
l हालात यह है कि कुनबा बड़ा होता चला जा रहा हैं, और हिस्सा कम होता दिख रहा है l
एक मजबूत सरकार देश को मिले, इसी पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं l
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