टूटते सपनों के
बीच विकास की परियोजनाएं
रवि अजितसरिया
एक बार निवर्तमान
मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने कहा था कि वे गुवाहाटी को संघाई बना देंगे l उन्होंने यह बात गुवाहाटी के ब्रह्मपुत्र के
किनारे को सुन्दर बनाने के सन्दर्भ में कही थी l संघाई, चीन और समूचे
एशिया का सबसे बड़ा शहर है, जिसकी आबादी 2 करोड़ 40 लाख है, जो करीब 7 हजार वर्ग किलोमीटर तक फैला हुवा है l चीनी भाषा में संघाई का मतलब होता है ‘नदी या समुद्र के उपर’ l व्यापारिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण बंदरगाह है, जो पूरब को पश्चिम से जोड़ता है l यहाँ बंड नामक एक नदी का किनारा है, जिसके किनारे एतिहासिक इमारतों की एक कतार बनी
हुई है l यह एक संघाई का बेहद
सुंदर इलाका है l गुवाहाटी और उत्तर गुवाहाटी
के बीच पुल बनाने की घोषणा पिछले 14 वर्षों में चार बार की गई, पर आज तक यह योजना
तिल मात्र भी नहीं घिसकी, जिसका खामियाजा उत्तर गुवाहाटी के लोग अपनी जान दे कर
चूका रहें है l पिछली पांच तारीख को उत्तर गुवाहाटी में एक नावं के पलटने से करीब 20
लोगों के डूबने की आशंका व्यक्त की जा रही है, जबकि 12 लोगों को बचा लिया गया था l
असम इनलैंड वाटर
ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट, जो गुवाहाटी और
उत्तर गुवाहाटी के बीच चलने वाली नावं और जहाजों का संचालन करता है, उनके एक
अधिकारी के मुताबिक, सिर्फ 22 टिकट
बेचे गए थे जबकि लोग ज्यादा सवार थे। विभाग से लाइसेंस लेकर प्राइवेट कंपनियों
द्वारा मशीनचालित नावें चलाई जाती है, जिसकी मदद से हजारों यात्री रोज नदी पार करते हैं। इस बड़ी दुर्घटना से लोगों
में दुःख भी है तो भरपूर गुस्सा भी है l गुस्सा इसलिए है क्योंकि नावं और जहाज
चालन का संचालन सही तरीके से नहीं हो रहा था l जिस पुल बनाने की घोषणा कई सरकारें
पिछले 14 वर्षों से कर रही है, वह अभी भी कागजों में ही बन रही थी l गुस्सा इसलिए
भी है, क्योंकि सरकार उत्तर गुवाहाटी और गुवाहाटी के बीच चलने वाली इन नावों को लाइसेंसे
तो दे रही है, पर उनका रखरखाव कैसा है, इस बात पर ध्यान नहीं दे रही है l गुवाहाटी
शहर का लम्बा नदी किनारा पर्यटकों के लिए एक आनंद का स्थान बन सकता हैं l इसके
किनारे अभी दो चलता-फिरता रेस्टोरेंट और एक डिस्को चल रहा है l अगर नदी के किनारों
को मुंबई के मेरिन ड्राइव की तर्ज पर आगे ले जाया जाय, और फिर तट को सुंदर बनाया
जाय, तब यह एक पर्यटकों के आकर्षण का स्थान पबन सकता है l मरीन ड्राइव मुंबई में
1920 में निर्मित हुआ था, जो बारह वर्षों में बन कर तैयार हुवा था । यह अरब सागर
के किनारे-किनारे, नरीमन प्वाइंट पर सोसाइटी लाइब्रेरी और मुंबई
राज्य सेंट्रल लाइब्रेरी से लेकर चौपाटी से होते हुए मालाबार हिल तक के क्षेत्र
में स्थित है। मरीन ड्राइव के शानदार घुमाव पर लगी स्ट्रीट-लाइटें रात्रि के समय
इस प्रकार जगमाती हैं कि इसे क्वीन्स नैकलेस का नाम दिया गया है। उपर से अगर
सिंगापूर की हेंडरसोन वेव नामक पुल की तर्ज पर उत्तर गुवाहाटी और गुवाहाटी के बीच
एक पुल बनाया जाय, तब तो सोने पर सुहागा हो जाएगा l उल्लेखनीय है कि इस सिंगापूर की पुल पर पर्यटक
देर रात तक घुमने जातें हैं l गुवाहाटी को संघाई बनाने का गोगोई का सपना साकार
होगा या नहीं, इस बारे में तो
कहना मुश्किल है, पर नई सरकार के
आने के करीब २७ महीने गुजरने के पश्चात भी हम गुवाहाटी के हालात में कोई जबरदस्त
सुधार नहीं देख रहें है l हाल ही गुवाहाटी में भंग की गई नगर निगम काउंसिल के
पार्षदों ने सफाई और कचरा निष्पादन का कार्य बड़ी बखूबी से किया, पर जहाँ तक
सुन्दरता का सवाल है, अभी भी वही पुरानी गुवाहाटी पसरी पड़ी हुई है l नई सरकार से
लोगों ने बड़ी अपेक्षा की हैं कि सरकार उन
योजनाओं पर कार्य करना शुरू करे, जो पिछली सरकार
के समय पारित की गयी थी l इस समय बिजली के तारों को जमीन में केबल के माध्यम से हस्तांतरित करने
का कार्य शुरू हुवा है l ख़ुशी की बात यह है कि गुवाहाटी और उत्तर गुवाहाटी के बीच
केबल-कार योजना, पुरानी जेल भूमि
पर वनस्पति उद्यान बनाना, यातायात व्यवस्था
को दुबारा निर्धारित करना, इत्यादि, योजनाओं पर इस समय गुवाहाटी विकास विभाग तेजी
से कार्य कर रहा है l गुवाहाटी का
फैंसी बाज़ार इलाका, पूर्वोत्तर की
सबसे बड़ी व्यापारिक मंडी है, जहाँ हर वक्त
व्यापारिक गतिविधियाँ चलती रहती है l गुवाहाटी और उत्तर गुवाहाटी के बीच हजारों लोग सफ़र करतें है, जो नौकरी और
व्यवसाय के लिए गुवाहाटी आतें है l इस पुल के बनाने से गुवाहाटी की सुंदरता बढ़ेगी
ही, साथ ही उत्तर गुवाहाटी भी गुवाहाटी का एक अभिन्न अंग बन जायेगा l अगर गौर से देखा जाये, तब पाएंगे कि स्मार्ट सिटी परियोजना के मसौदे से अभी भी लोग
अनजान है l उसका मोड्यूल कौन सा होगा,
परियोजना के व्यय धन वाकई में लोगों के काम आ
सकेगा l तमाम तरह की शंकाएं अभी
भी जीवित है l दरअसल में आमतौर
पर देखा जाता है कि इस तरह से आनन-फानन नई योजना पर काम तो शुरू हो जाता है,
पर बड़ा प्रश्न यह रहता है कि वाकई में योजना से
लोगों की जीवन शैली में कोई उत्थान देखा जा सकता है l विकास के नाम पर जिस तरह से नकारात्मक राजनीति और कारोबार
चल रहा है, उससे ये तमाम योजनाओं के
सफलतापूर्वक होने में संशय होना लाजमी है, और उपर से नावं दुर्घटना, मुहं का स्वाद
एकाएक खट्टा हो जाता है, और हम एक
नॉन-रिटर्निंग स्टेज में चलें जातें है, जहाँ से उसका लौटना मुश्किल ही नहीं नामुनकिन हो जाता है l उसे तमाम योजना के सफल होने का दंभ भरतें
राजनेतिक नेताओं के ढकोसले एकाएक बेमानी से लगने लागतें है l इतिहास गवाह है कि राजनेतिक खम्भों पर टिकी हुई
योजनाओं के मानव सापेक्ष नहीं होने के वजह से उसके सफल होने पर प्रश्न चिन्ह लग
जातें है, क्योंकि योजना में निहित उद्देश्य
व्यक्तिगत कल्याण के लिए बनें हुए है, जिससे आमजनों का भला होना संभव नहीं हो सकता l अभी सरकार के लिए गुवाहाटी शहर में हो रही कृत्रिम बाढ़ को
रोकना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है l
इन्ही तमाम
विरोधाभासों के बीच अभी भी यह तय नहीं हो रहा है कि मानवजाति के विकास का कौन सा
रास्ता अपनाया जाये, एक, जिसको पाने
के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है, दूसरी, जिसमे वर्तमान से चिपक कर
अर्ध-विकसित तकनीकों के बोझ को ढोतें हुवे, संस्कृति का महाजाप करतें हुवे अप्रासंगिक हो जाये l मुद्दों को लेकर अगर सरकार संवेदनशील है, तब वह बहुत कुछ कर सकती है l
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