यह एक इंस्टेंट कॉफ़ी
का जमाना है
तेजी से बदलते दौर
में, विचारों का बदलना भी एक स्वाभाविक सी प्रक्रिया है l संस्कारों और रीति
रिवाजों में कल-चक्र का प्रभाव हमें साफ़ दिखाई दे रहा है l फिर भी रचनाधर्मिता हमारे
जीवन से निकली नहीं है l कुछ नया करने के लिए हम आतुर है l जीवन के प्रति लम्हे को
अब हम दर्ज करना चाहतें है, जैसे अभी की जिंदगी ही बस सबसे अधिक अच्छी और सुंदर
है, जिसे जितना जी लो, उतना ही अच्छा है l
एक फेसबुक पेज की तरह l जिस पर पोस्ट डालो, और फिर लाईक,कोमेंट्स और रिप्लाई l
स्टेट्स अपडेट करो और फिर ढेरों लाईकस l इस तरह से जीवन में नए उपक्रम घर कर गए है
, जिनके साथ रहना हमें पसंद आने लगा है l अब रोटी-कपड़ा-मकान से जीवन नहीं चलता, बल्कि उन तमाम जरूरतों को
जुटाते हुए जीवन को जीने की एक कला है, जिसको हर मनुष्य आज ढूँढ़ रहा है l कुछ लोग जो जीवन भर संघर्ष
भरा जीवन जी रहें होतें है, उनके लिए मात्र समृद्धि ही सुखी होने की निशानी है l आसुओं से कुश्ती लड़ कर कुछ
लोग, एक नई जिंदगी जीने के लिए जीवन से ही प्रेरणा प्राप्त कर लेतें है l खिड़की के झरोखे से दिखाई
देने वाला एक छोटा सा दृश्य भी, उन्हें एक नए जीवन की और ले जाने में सक्षम है l परिवर्तन प्रकृति का नियम है। परिवर्तन
सकारात्मक व नकारात्मक दोनों ही हो सकते हैं। किसी भी समाज, देश, व विश्व में कोर्इ भी सकारात्मक परिवर्तन जो प्रकृति और मानव दोनों को बेहतरी
की ओर ले जाता है वही वास्तव में विकास है। अगर हम विश्व के इतिहास में नजर डालें
तो पता चलता है कि विकास शब्द का बोलबाला विशेष रूप से द्वितीय विश्व युद्ध के बाद
सुनार्इ दिया जाने लगा। इसी समय से विकसित व विकासशील देशों के बीच के अन्तर भी
उजागर हुए और शुरू हुर्इ विकास की अन्धाधुन्ध दौड़। सामाजिक वैज्ञानिकों, अर्थशास्त्रियों, नीति नियोजकों द्वारा विकास शब्द का प्रयोग किया
जाने लगा। कुछ लोग अपने अपने अंतर्मन से प्रेरित हो कर इस दुनिया में
लोगों ने अपनी कठिन जिंदगी को हमेशा से ही सरल और मीनिंगफुल बनाने की कौशिश की हैं, चाहे वह ध्यान, अध्यात्म और भगवत पूजा के द्वारा हो या फिर
दुनिया की तमाम उपलब्ध वस्तुओं को उपभोग करके हो l पर इंसान ने हमेशा से ही बदलाव के द्वारा एक
खुबसूरत जिंदगी जीने की और रुख किया है l इस समय सबसे बड़ी और कठिन तपस्या इंसान की, स्वस्थ रहना है l स्वास्थ के लिए जब पूरी दुनिया में अरबों-खरबों
रुपये खर्च हो रहें है, ऐसे में उसका लाभ धीरे-धीरे मानव जाति को मिलने की और अग्रसर है l तमाम द्वन्द्वों के बीच मुट्ठी भर सुख की
प्राप्ति की चाह कर कोई कर रहा है l पर कहाँ रहता है, यह सुख, कैसा है इसका चहरा, कौन बताता है, सुख की दिशा l कई सारे प्रश्न हमारे दिमाग में कौध जातें है, जिनके जबाब हमें नहीं मिलतें l अत्यधिक धन होना, किसी बड़े सुख की अनुभूति नहीं भी दे सकता है, जबकि एक छोटा क्षण हमें इतना सुख दे सकता है कि
जीवन की गति ही बदल जाये l शायद इसी क्षण के लिए लोग रुके रहतें हैं l जब धरती पर इतने संसाधन
नहीं थे, तब आबादी भी इतनी नहीं थी, संघर्ष से भारी जिंदगी में इंसान की वास्तविक खूबियों की
अपेक्षा होती रही, ऐसे में 21वी सदी मानव जाती के लिए वरदान बन कर आई है l तकनीक और सुचना प्रसारण
अपने विकास के चरम पर है l मानव चाँद और अन्य ग्रहों पर घर बनाने की और अग्रसर है l न्याय संगत और विचार
आधारित धरातल की सृजनशीलता ने मानवजाति के कद तो अब बहुत बड़ा बना दिया है l बोद्ध ग्रंथ ‘मिलिंद प्रश्न’ एक ऐसा ग्रंथ है, जो उपदेशात्मक है, और सत्य से साथ
साक्षात्कार करवाता है l इसमें मूल बात यही है कि जिस चीज का प्रवाह पहले से चला आता
है, वही चीज पैदा होती है l मानवीय वृतियों का सूक्षमता से समझने से पहले यह समझना
जरुरी है कि वे निहित श्रंखलायें क्या है जो एक जीव को मानव बनता है? उसके सोचने और समझने की
शक्ति और जिजीविषा जिसके प्रदर्शन से वह एक मानव कहलाता है l यदि विकास के मूलतत्व को गहरार्इ से समझने का
प्रयास किया जाये तो विकास का अर्थ सिर्फ आर्थिक सशक्तता नहीं हैं। यदि पूर्व के
ग्रामीण जीवन का अध्ययन किया जाये तो आज के और पूर्व के जीवन की बारीकी को समझने
का अवसर मिलेगा।
दुनिया अब अभिव्यक्ति
का एक सुंदर संसार बन गयी है l संवाद के माध्यम इतने प्रबल और मजबूत अवधारणा बना देतें
है कि हर कोई उसी के पीछे दौड़ने लगता है l यह दौड़-भाग जीवन का एक हिस्सा बन गयी है
l खुद को प्रशंसित करने की इच्छा, दूसरों द्वारा स्वीकृत होने और पीठ थपथपाए जाने
की आकांशा अब जीवन का एक कोलाहल बन गयी है l एक आभासी संसार में रहने के लिए हो
सकता है कि हम तमाम तरह की अवधारणों का सृजन कर ले, पर वास्तविकता की धरातल पर
हमें एक दिन अपने आप को खड़ा रखना ही होगा l जीवनधारा फिल्म के इस सारगर्भित गाने के बोल को यहाँ उद्धित करता हूँ ...’इसका
नाम है जीवनधारा है, इसका कोई नहीं किनारा...हम पानी के कतरे, गहरा सागर ये जग
सारा....इसका नाम है, जीवनधारा’ l
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