Friday, August 11, 2017

स्वंतत्रता दिवस के बदलते मंजर
रवि अजितसरिया

इस पंद्रह अगस्त को देश सत्तरवा स्वतंत्रता दिवस मनायेगा l स्‍वतंत्रता दिवस समीप आते ही चारों ओर खुशियां फैल जाती है। लोग तरह के आयोजन करने लागतें है l आजादी के इस पर्व पर पुरे देश में जहाँ हर्ष और ख़ुशी का वातावरण रहता है, वही पिछले 30 वर्षों से असम के लिए स्वतंत्रता दिवस महज एक शासकीय जलसा जैसा होता है, जहाँ पूरा सरकारी व्यवस्था पुरे जोश के साथ इस पर्व को मनाती है l राज्‍य स्‍तर पर विशेष स्‍वतंत्रता दिवस कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें झंडातोलन, मार्च पास्‍ट और सांस्‍कृतिक आयोजन शामिल हैं। चूँकि राज्य के मुख्‍यमंत्री इस कार्यक्रम  की अध्‍यक्षता करते हैं, सुरक्षा का जबरदस्त इन्तेजाम होता है जिसकी वजह से इस सरकारी जश्न में आम आदमी की भागीदारी बेहद कम होती है l आम आदमी की भागीदारी नहीं होने की मुख्य वजह है, सरकारी उदासीनता l राज्य सरकार द्वारा लोगों में विश्वास पैदा करने में विफल रहने के कारण एक बंद जैसा माहोल असम में हर वर्ष विराज करता है l सड़क पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट अधिक नहीं होने के कारण लोग एक स्थान से दुसरे स्थान पर नहीं जा सकते l कर्मचारी वर्ग पिछले तीस वर्षों से इस दिन घर पर छुट्टी मनाता आया है l उनके लिए स्वतंत्रता दिवस महज एक छुट्टी का दिवस है l हर वर्ष पूर्वोत्तर के उग्रवादी संगठन, स्वंत्रता दिवस के बहिष्कार की अपील करतें है, और लोगों पर एक मानसिक दबाब डाल कर उन्हें घरों में रहने को मजबूर भी करतें है l इस धमकी भरी अपील की वजह से राज्य भर में स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम सरकारी रूप में ही मनाये जातें रहें है l इन वर्षों में गुवाहाटी के कई इलाकों में स्वतंत्रता दिवस का जश्न पुरे जोश के साथ मनाया जा रहा है l फैंसी बाज़ार जैसे इलाके में जहाँ कभी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सन्नाटा विराजता था, वहां पिछले कई वर्षों से स्वंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस, दोनों के मौकों पर, समूचा इलाका देश भक्ति के गीतों से गूंज उठता है l अब फैंसी बाज़ार में हर वर्ष मारवाड़ी युवा मंच के बेनर के तले यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है l मारवाड़ी युवा मंच के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप जैन, जिनकी अध्यक्षता में पहली बार सन 2002 के दौरान पहली बार खुले में स्वतंत्रता दिवस का कार्यक्रम आयोजित किया गया था, उनको इस बात की ख़ुशी है कि जिस पहल को उन्होंने सन 2002 में शुरू की थी, आज वह सार्थक होती दिखाई दे रही है l उल्लेखीनीय है कि फैंसी बाज़ार में खुले में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर झंडोतोलन और सांस्कृतिक कार्यक्रम करने की शुरुवात करने के श्रेय मारवाड़ी युवा मंच को ही जाता है l अब तक फैंसी बाज़ार, आठगांव, कुमारपाड़ा, इत्यादि इलाकों में वाकायदा स्टेज बना कर सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते है और बड़ी संख्या में आम लोग शामिल होतें है lछोटे पैमानों पर शैक्षिक संस्‍थानों, आवास संघों, सांस्‍कृतिक केन्‍द्रों और राजनीतिक संगठनों द्वारा भी स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। सन अस्सी और नब्बे के दशक में जब उग्रवादियों की स्वतंत्रता दिवस के बहिष्कार की धमकी आती थी, तब भय और अविश्वास की वजह से लोग इस दिन घरों से बाहर भी नहीं निकलतें थें l  
बच्चें अपने अभिभावकों से पूछ्तें थें कि कब उन्हें स्वतंत्रता दिवस मानाने का मौका मिलेगा l वे भी तिरंगे को लेकर झूमना चाहतें थे l प्रत्यक्षदर्शी बतातें है कि उन दिनों एक हफ्ते पहले से ही सुरक्षा के बड़े इन्तेजाम होने लगतें थे l बम फटने की घटना आम थी l स्वतंत्रता दिवस के दिन लोगो घरों में दुबके रहतें थे l इन 15 वर्षों के के दौरान धीरे धीरे लोगों में सुरक्षा का विश्वास जमने लगा और आज लोगो मुक्त रूप से बड़े पैमाने पर स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम आयोजित करने लगे है l अब लोगों के घरों के उपर तिरंगा लहराता हुवा दिखाई देने लगा है l बच्चे प्लास्टिक और कागज के झंडे लिए झूमते हुए दिखाई देतें है l इतना नहीं ही, लोग अपने चहरे पर तीन रंगों की आकृतियाँ भी गुदवा कर ख़ुशी जाहिर करतें है l तीन रंगों के बेलून, पोशाकें, जुलुस की शक्ल में भारत माता का जयघोष और मोटर साइकिल रेलिया, आज स्वतंत्रता दिवस के पर्व का हिस्सा है l बुलेट मोटर साइकिल रेली हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी गुवाहाटी के स्वतंत्रता दिवस का हिस्सा बनेगी l इस बदलती फिजा का आनंद अब लोग लेने लगें है l वे मुक्त रूपसे उस दिन विचरने लगें है l यह बात अलग है कि शासन की तरफ से स्वतंत्रता दिवस के एक हफ्ते पहले से ही प्रमुख मार्गों पर सुरक्षा के कड़े बदोबस्त किये जाते है, जिससे यह पता लग जाता है कि स्वतंत्रता दिवस आ रहा है, घर पर ही दुबके रहो l इस तरह का मोनोभाव लेकर एक आम आदमी फिर भी स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम को अपने लेवल पर आयोजित करने को आतुर रहता है l यह उसकी देश भक्ति ही तो है, जो उसे धमाकों के सायें में भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने के लिए प्रेरित करती है l चूँकि स्वतंत्रता महज भौगोलिक आजादी के नाम नहीं है, बल्कि एक व्यक्ति, एक देश की अस्मिता से जुडी हुई भावना है, जो उसे निरंतर प्रेरित करती है, आजादी के दिन को मानाने के लिए l सभी यह मानते है कि ये आयोजन और भी पड़े पैमाने पर होने चाहिये, जिससे ऐसा लगने लगे कि यह एक जनता का पर्व है ना कि शासन का l सभी प्रमुख शासकीय भवनों को रोशनी से सजाया जाता है। आम आदमी को भी इस दिन विशेष तौर पर अपने घरों, रास्तों को सजाने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिये l तिरंगा झण्‍डा घरों तथा अन्‍य भवनों पर जब फहराया जाता है, तब किसी का भी सीना चौड़ा हो जाता है और वह अदब से उस झंडे को सलाम करने लग जाता है l स्‍वतंत्रता दिवस, 15 अगस्‍त एक राष्‍ट्रीय अवकाश है, इस दिन का अवकाश प्रत्‍येक नागरिक को बहादुर स्‍वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए बलिदान को याद करके मनाना चाहिए। स्‍वतंत्रता दिवस के एक सप्‍ताह पहले से ही विशेष प्रतियोगिताओं और कार्यक्रमों के आयोजन द्वारा देश भक्ति की भावना को प्रोत्साहित करने क लिए किया जाना चाहिये l यूँ तो सरकार द्वारा रेडियो स्‍टेशनों और टेलीविज़न चैनलों पर इस विषय से संबंधित कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। शहीदों की कहानियों के बारे में फिल्‍में दिखाई जाती है और राष्‍ट्रीय भावना से संबंधित कहानियां और रिपोर्ट प्रकाशित की जाती हैं, मगर ये कार्यक्रम महज एक औपचारिकता भर बन कर रह गएँ है l जब तक आम लोग इस आजादी के पर्व को  

पुरे दम ख़म और उल्लास से नहीं मनाएंगे, ऐसा नहीं लगेगा कि हम आजादी के सही मायने को समझ पायें है l पिकेटिंग, जुलुस, प्रतिवाद यात्रा में भाग लेने वाले प्रतिभागियों और जेलों में बंद रहने वालें कैदियों द्वारा दिए गए बलिदानों को याद करने का समय है, आज़ादी का यह दिन l हो सकता है कि राजनीति के गलियारे से विचलित करने वाली घोषणाएं, कुछ क्षणों के लिए मन में कड़वाहट ले कर आये, पर हमारी जड़े इतनी मजबूत है कि हमें कोई हिला नहीं सकता, हमें कोई तोड़ नहीं सकता l और बच्चन जी के शब्दों में ‘है अँधेरी रात पर दिवा जलाना कब मना है’ l      

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