Friday, July 7, 2017

जीएसटी लागु होने के बाद का दृश्य
रवि अजितसरिया 

एचएसएन कोड बना एक बड़ी समस्या
देश भर में जीएसटी कर प्रणाली को लागु हुए एक सप्ताह हो गया है और व्यापरियों में एचएसएन कोड को लेकर और टेक्स स्लेब की जानकारी के अभाव में, भारी अफरा-तफरी सी मची हुई है l छोटे व्यापारियों को अभी भी नहीं मालूम की कौन सी आइटम कौन से स्लेब में जा रही है l व्यापारी इसके चलते अपना माल नहीं बेच पा रहें है l एचएसएन कोड को लेकर संशय इसलिए भी है क्योंकि एक ही तरह के दिखने वाले माल में अलग अलग एचएसएन कोड है, जिसके चलते कर भी लग-अलग है l एचएसएन कोड यानी सामंजस्य प्रणाली नामकरण(हर्मोनाइज्द सिस्टम नोमेंक्लेचेर) एक बहुउद्देश्य अंतराष्ट्रीय उत्पाद नामकरण प्रणाली है, जिसे विश्व सीमा सगठन ने विकसित किया है, परिभाषित है, जिसमे 5000 से अधिक सामान शामिल है, क़ानूनी और तार्किक पहलुओं को समझने के लिए बनाई गयी है l पूरी प्रणाली में सामानों का वर्गीकरण, सीमा कर के भाव और इनपुट क्रेडिट का पता चलता है, और गैर-दस्तावेजी डाटा इंटरचेंज में सहयोगी है l दुनिया भर में ये कोड निर्यात, आयत और वितरण के लिए इस्तेमाल किये जाते है l ये कोड दो, चार, छह और आठ डिजिट के हो सकतें है l भारत में ये कोड कोई भी जीएसटी इनवॉइस बनाने के समय अंकित करना आवश्यक है l अब एचएसएन कोड की पढाई, व्यापरियों को करनी पड़ेगी, नहीं तो भारी नुकसान होने की संभावनाएं है l अब व्यापरियों को कौन पढ़ायेगा, यह एक लाख टेक का प्रश्न है l ज्यादतर व्यापरियों का कहना है कि सरकार को व्यापरियों पर विश्वास करना होगा, जिसे चीजे आसानी हो जाएगी, और व्यापारी नई प्रणाली में आ कर कारोबार कर सकेंगे l इधर सरकार की तरफ से ऐसा कहा जा रहा है कि ऐसे व्यापारी, जो वर्षों से वेट के दौरान एक सिस्टम के तहत चल रहे थे, उनके लिए जीएसटी एक वरदान बन कर आयी है l यह इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि जीएसटी के तहत पंजीकृत व्यापारी उन सभी सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे, जो उन्हें, पहले नहीं मिल रही थी l मसलन उत्पादन और बिक्री के उपर हो रहे खर्चे पर कोई इनपुट का नहीं मिलना, जो जीएसटी प्रणाली में मिल सकेगी l ठीक ऐसे ही उत्पादन के लिए खरीदी गयी प्लांट एंड मशीनरी और अन्य खर्चे जीएसटी के तहत क्लेम होना, ना सिर्फ उत्पादक को लाभ पहुचायेगा, बल्कि उसे उत्पादन शुल्क से छुट के साथ जीएसटी कर में भी इनपुट दिलाएगा l जीएसटी आने से सिर्फ इंडस्ट्री और कंज्यूमर को फायदा ही नहीं होगा बल्कि मालढुलाई भी 20 फीसदी सस्ती हो जाएगी। जाहिर है, इसका फायदा आम उपभोक्ता से लेकर लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री तक को होगा। यही वजह है कि लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री भी जीएसटी स्वागत कर रही है। अगर जीएसटी पूरी तरह से सफल रहा तो सबसे ज्यादा फायदा इंडस्ट्री को होने वाला है। क्योंकि जीएसटी युग में उन्हें अलग-अलग करीब 18 टैक्स नहीं भरने होंगे। टैक्स भरने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी और टैक्स का बोझ भी काफी कम हो जाएगा। l ये  
सभी कागजी बातें अभी सुंदर लग रही है, पर व्यापरियों पर कितना अतरिक्त बोझ बढ़ जा रहा है, इसका अंदाजा तो व्यापारियों को खुद को ही है l बाज़ार में जीएसटी प्रणाली में शिफ्ट हुए व्यापारियों से पूछने पर पता चला कि वे जल्द से जल्द जीएसटी के तहत अपना कारोबार शुरू करना चाहतें है, जिससे वेट से जीएसटी प्रणाली में शिफ्ट होने के दौरान जो बिक्री का नुकसान व्यापारियों को हुवा, उस नुकसान की भरपाई हो जाये, चाहे इसके लिए अधिक कर भी देना क्यों ना पड़े l
जीएसटी में समस्याओं को ले कर बात करे, तब पाएंगे कि इस वक्त व्यापारी जुंझ रहा है, एचएसएन कोड को लेकर l सरकार ने हर वस्तुओं का एक कोड निर्धारित किये है, जिसके सामने कर के भाव निर्धारित किये गएँ है l छोटे व्यापारियों को दिक्कत यह है कि उन्हें अपने माल के कोड कौन बताएं l मान लीजिये, उनके अपने सप्लायर उन्हें बेचे गये सामान पर कोड बता भी दे, तब भी पुराने सामानों पर कोड ढूँढना घास में से सुई ढूंढने के बराबर है l बड़े व्यापारिक संगठनों को इस समय व्यापारियों की मदद के लिए आगे आना चाहिये, और एचएसएन कोड के अलावा, इनवॉइस के फॉर्मेट और इनवॉइस काटने के तरीके की बारीकियों के बारे में समझाएं l अभी व्यापारी इस उलझन में है कि पुराने पड़े हुए मेमो और इनवॉइस का क्या करें l इस बाबत भी सरकार ने कोई स्पष्ट निर्देश नहीं दिए है, जिससे तमाम तरह की बातें निकल कर आ रही है l हालाँकि, कुछ छोटे व्यापारियों ने अपने जीएसटी के नम्बरों की स्टाम्प लगा कर अपना व्यापार शुरू कर दिया है, पर असमंजस अभी भी जारी है l जीएसटी के विशेषज्ञ चार्टर्ड अकाउंटेंट ओ पी अगरवाला का कहना है की जीएसटी को लेकर जो बातें सरकार की तरफ से आई, वे सभी ठीक है, जीएसटी कानून एक वृहत और कारगार कानून है, पर जब उन बातों पर वस्तविकता का धरातल पर तोलते है, तब पातें है कि अभी ख़ुशी होने की कोई वजह दिखाई नहीं दे रही है l भारत में अभी भी निरक्षर लोगों की संख्या पढ़े लिखे लोगों से अधिक है l व्यापार के क्षेत्र में तो छोटे-मोटे व्यापरियों की संख्या करोडो में है, जिन्हें जीएसटी की एबीसी भी नहीं मालूम. ऐसे व्यापरियों के लिए समस्या आ सकती है l एक पंजीकृत व्यापारी के बिना कम्पुटर के चलना मुश्किल सा लग रहा है l उन्होंने एक उदहारण देते हुए समझाया कि जीएसटी के तहत सभी खरीद और बिक्री की प्रति-वस्तु डिटेल माह के अंत में दाखिल करनी होगी, जो बिना कम्पुटर के संभव ही नहीं l सरकार को एचएसएन कोड लेन की जल्दीबाजी नहीं करनी चाहिये थी l इससे मामला उलझ सा गया है l उन्होंने आशा की उम्मीद जताते हुए कहा कि अभी लोग एक ट्रेन में चढ़े है, दो चार स्टेशन के बाद ही लोगों को एडजस्ट होने में लग ही जायेगा l तब तक थोड़ा धैर्य रखें l गुवाहाटी के बड़े व्यापारियों ने अपने सिस्टम को जीएसटी व्यवस्था के तहत शिफ्ट भी कर लिया है और धड़ल्ले से माल बेच रहें है l यहाँ एक फायदा व्यापरियों को मिलने वाला है कि व्यापारी एकीकृत प्रणाली के तहत रजिस्टर्ड हो सकेगें, जहाँ उन्हें सर्विसे टेक्स के झंझट से मुक्ति मिलेगी और जीएसटी के तहत दिए गये कर का इनपुट मिल सकेगा l एक अन्य सबसे बड़ा फायदा व्यापारियों को इस वक्त दिखाई दे रहा है, और वो है, विभिन्न प्रकार के कागजों से मुक्ति l  
वेट प्रणाली में सी फॉर्म और अन्य कई तरह के फॉर्म व्यापारियों को दाखिल करने होते थें, जिनसे जीएसटी प्रणाली में मुक्ति मिलेगी l इधर सरकार ने अगले दो महीने तक जीएसटी के प्रावधानों को समझने के लिए व्यापारियों को रिटर्न भरने की छुट दी है, जिससे व्यापारियों ने राहत की सांस ली है l  

हाल ही में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि जीएसटी तमाम अडचनों के बावजूद, 1 जुलाई से उम्मीद से ज्यादा आसानी से लागू हो गया l पिछले दिनों खबर आई थी कि देश में आधे से अधिक लोगों जीएसटी के बारे में जानकारी नहीं है l एक सर्वेक्षण में देश के 3.6 लाख लोगों की राय ली गई, जिसमे यह पता लगा कि तेलुगू भाषी दो राज्यों आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लोगों को जीएसटी के बारे में सबसे अधिक जानकारी है l इन राज्यों की 64 फीसदी आबादी को इस कर के बारे में पता है l जीएसटी के बारे में सबसे कम जानकारी तमिलनाडु के लोगों को है l असम में भी स्थिति बहुत ज्यादा उत्साहजनक नहीं दिखाई पद रही है l फिर भी यह साफ़ दिखाई दे रहा है लोग बहुत जल्द ही जीएसटी प्रणाली में शिफ्ट हो कर व्यापार करना चाहतें है l  

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