मेरे राम का मुकुट भीग रहा
है
रवि अजितसरिया
“मोरे राम के भीजे मुकुटवा, लछिमन के पटुकवा
मोरी सीता के भीजै सेनुरवा त राम घर लौटहिं।“
(मेरे राम का
मुकुट भीग रहा होगा, मेरे लखन का
पटुका (दुपट्टा) भीग रहा होगा, मेरी सीता की
माँग का सिंदूर भीग रहा होगा, मेरे राम घर लौट
आते)
उपरोक्त शीर्षक देश के महान
लेखक, चिन्तक और ललित निबंधकार विद्यानिवास मिश्र के निबंध संकलन का है, जिसे आज
इसलिए लिया गया है क्योंकि आज यह वाक्य अचानक प्रासंगिक और सामायिक हो गया है l
चारों और राम नाम की गूंज सुनाई पड़ रही है, जिसे कुछ लोग धर्म से जोड़ रहें, तो कुछ
उसकी राजनीति कर रहें है l कुछ उसकी खा भी रहें है l राम सिर्फ धर्म और आस्था के
प्रतिक नहीं थे, बल्कि आदर्श शासन की प्रतिमूर्ति थे, जिसको लोकतंत्र का एक
परिमार्जित रूप अगर कहे, तब कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी l बाल्मीकि रामायण में एक
जगह लिखा है कि.. जब से राम का राम के रूप में अभिषेक हुवा है, तभी से अयोध्या में
लोगों में एक नई स्फूर्ति दिखाई दे रही है, लोग स्वतः ही अपना-अपना कार्य कर रहे
है..l विद्यानिवास मिश्र के निबंध में एक व्यक्ति के चिंतन के स्वरुप को राम के
वनवास के समय के साथ जोड़ा गया है, जब राम बनवास गए थे, तब परिस्थितियों के उत्पन्न
होने से हर पल को राम के बनवास के साथ जोड़ा जाता था l वे दुःख के क्षण हर पल मन को
कचोटते थे l आज के भारत के प्रसंग में अगर यह कहा जाए कि राम के आदर्श राज की जबरदस्त
मांग होने लगी है, तब कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी l भारतीय जनता पार्टी जब सन 2014
में पुरे दमखम के साथ दश में सत्ता में आई, तब कुछ इसी तरह के विचार लोगों के मन
में उभर कर आये थे, एक नई आशा के साथ लोगों ने इस भगवा पार्टी को शासन पर बिठाया
था l तब से आज तक, देश में हजारों बदलाव हुए, कड़े निर्णय लिए गए, तब भी लोगों ने
पार्टी का साथ दिया है l उत्तर प्रदेश इसका जीता-जाता उदारहरण है l आर्थिक क्षेत्र
में सरकार ने इन तीन वर्षों में अप्रत्याशित प्रगति की है l उसका सकल घरेलु उत्पाद
तेजी से बढ़ कर दुनिया के कई प्रगतिशील देशों से आगे है, भारत विश्व की पांचवीं बड़ी
आर्थिक महशक्ति बनने कि कागार पर है l उसका विदेशी मुद्रा भण्डार 370 बिलियन डॉलर
तक पहुच गया है l देश में लगातार नए प्रकल्पों की घोषणाएं हो रही है l आगामी 1
जुलाई से देश में नया कर ढांचा जीएसटी के आने से विभिन्न स्तर पर लगने वाले कर पर
रोक लगेगी, जिससे एक ही भाव में देश में सामान मिलने लगेंगे l इसमें कोई शक नहीं
है कि देश बदल रहा है l देश के लोगों के चहरे पर ख़ुशी दिखाई दे रही है l इसका
जीता-जाता उदहारण है, चुनावों में भाजपा की जीत l अगर ऐसा नहीं होता तब हाक ही के दिल्ली
के निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी जीतती l
मगर जिस तरह से आर्थिक
क्षेत्र में सरकार ने तेजी दिखाई है, उससे आने वाले दिनों में लोगों के जीवन यापन
में बढ़ोतरी निश्चित रूप से दिखाई देगी l पर आंतकवाद के मुद्दे को जिस तरह से
संभाला गया, उससे घरेलु आंतक और सीमा पर आंतक, दोनों बढ़ गया है l ऐसा माना जा रहा
था कि सरकार सख्ती दिखा कर देश से आंतकवाद नाश कर देगी l पर ऐसा नहीं हुवा l देश
में आन्तरिक आंतकवादी हमलों में हमारे जवान मर रहें है, सीमा पर पाकिस्तान हमारे
जवानों के शवों के साथ दरिंदगी दिखा रहें है l कश्मीर में सेना पर लगातार छात्र
पत्थर फेक रहें है l तब शहीद जवानों की विधवाओं को सीता मय्या की मांग भींगती हुई
नजर आती है, राम का मुकुट भींगते हुए नजर आता है l जब शहीद जवानों के बच्चे रोते
बिलखते हुए सरकार से बदले की कार्यवाई की मांग करती है, तब उस समय तो सरकार कह
देती है कि जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जायेगा, बदला लिया जाएगा, पर ऐसा नहीं
होता, घटना के कुछ ही दिनों बाद, पहले वाली घटना जैसी एक नई घटना दुबारा घट जाती है,
मनो देश में खुफिया विभाग विफल हो गया हो l असम के सन्दर्भ अगर देंखे, तब पायेंगे
कि भाजपा सरकार शासन आये हुए अब एक वर्ष होने को है l जैसा की 2014 में देश में भाजपा पुरे दमखम के साथ आई थी, ठीक
वैसा ही माहोल असम में भी 2016 के समय दिखाई दे रहा था l खास करके हिंदी भाषियों
के मन में एक नया उत्साह दिखाई दे रहा था, कि राज्य में एक ऐसी पार्टी सत्ता में
आई है, जिसने हमेशा से ही हिंदी भाषियों का साथ दिया, वह हिंदी भाषियों की सुरक्षा
और अश्मिता के प्रति संवेदनशील होगी l भ्रष्टाचार के मामले में सरकार ने कुछ बड़ी
कार्यवाही करके, राज्य के लोगों के मन में विश्वास जमाया है l अभी राज्य की भाजपा
कार्यकारिणी में 11 हिंदी भाषियों कों लेना इस बात का गवाह है कि भाजपा हिंदी
भाषियों के प्रति संवेदनशील और सजग है l पर जब हम अख़बारों की सुर्ख़ियों कि और
देखतें है तब पातें है कि राज्य के हिंदी भाषियों को राज्य में कानून-व्यवस्था को
लेकर भारी आक्रोश और रोष है l तब, यहाँ के हिंदी भाषियों को राम का मुकुट भींगता
हुवा नजर आता है, लक्ष्मण का पटुवा भींगता हुवा नजर आता है l पूर्वोत्तर में वास
करने वालें लाखों हिंदी भाषियों की जान-माल की सुरक्षा का जिम्मा सरकार पर है l
पूर्वोत्तर में रोजगार कर रहें व्यापारियों को अगर खुले मन से व्यापार के लिए
प्रोत्साहित किया जाये, तब यह तय है कि पूर्वोत्तर में विकास कि एक नई बयार बहने
लगेगी, और जब सर्वांगीण विकास होगा, तब यहाँ के स्थानीय लोगों में भी एक नए उत्साह
का संचार होगा l दिल्ली के प्रति पूर्वोत्तर का नजरिया सकरात्मक होगा और उन्हें
विश्वास होगा कि भारत में विकास की बयार किस और से बहती है l इस भ्रम को झुठलाया
जा सकता है कि दिल्ली से ही विकास की हवा बहती है, जो पूर्वोत्तर राज्यों के पास
पहुचते-पहुचते धीमी गति हो कर रुक सी जाती है l असम अपने दमखम पर खड़ा हो सकने में
सक्षम है, बस कड़ी राजनैतिक इच्छा शक्ति की जरुरत होगी l
अनादि काल से हम
अपने देश में रामराज्य के बारे में सुनते आ रहे हैं। हर युग में जनता रामराज्य के
आने के स्वप्न देखती आई है। रामराज्य का मतलब है, राम जैसे पुण्यपुरुष के शासन में
होने वाला राज्य । राजा यदि राम जैसा महायोगी होगा, तभी ऐसा राज्य धरती पर हो सकता
है,जिसकी कल्पना लोग आज कर रहें है । अभी देश के लोग, वर्तमान शासन से बड़ी अपेक्षा
लगाये हुए है l उनको, शासक की बुद्धिमत्ता, विचारधारा और निर्णयों पर पूरा भरोसा
है l
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