Friday, April 7, 2017

त्वमेव माता च पिता त्वमेव ...
रवि अजितसरिया
त्वेमेव माता च पिता त्मवेव
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव, त्वमेव बिद्या द्रविम त्वमेव,
त्वमेव सर्वं मम देव देव l

उपरोक्त श्लोक महाभारत काल का है, पांडव गीता में समाहित है, जिसमे देवी गांधारी श्री कृष्ण के  समक्ष समर्पण करते हुए कहती है कि तुम इस जगत के स्वामी हो, तुम ही हमारे पालनहार हो, और वे इतना कह कर मोक्ष की कामना करती है l कहने को तो यह एक श्लोक है, पर इस श्लोक के मायने अनेक है l यह एक सकारात्मक दृष्टिकोण दर्शाता है l महाभारत काल में जब अर्जुन अपना गांडीव रख देते है, श्री कृष्ण उन्हें अपना विराट रूप दिखाते है, जिसमे सभी देवता का वास होता है l विराट स्वरुप देख कर अर्जुन अपना गांडीव पुनः उठा केर युद्ध करने लगते है l इस श्लोक में यही तथ्य छुपा हुवा है कि श्री कृष्ण, तुम ही सर्व-व्याप्ति हो, तुम ही सेव-सर्वा हो, तुम जो आदेश दोगे, वह पूर्ण रूपेण पालित किया जायेगा l देश की संसद भी सर्वे-सर्वा है, वहां से देश संचालित होता है l देश के इस शासन केंद्र की बनावट इसी तथ्य को ध्यान में रख कर की गयी कि इस संसद में देश के सभी जाति. वर्ण और समुदाय के लोगों का प्रतिनिधित्व हो, जो देश की दशा और दिशा का निर्धारण कर सके l एक पालनहार की तरह यह संसद, लोगों को देखे, और सामाजिक सुरक्षा, रोटी कपडा और मकान जैसी सामान्य सुविधाएँ जनता तक मुहय्या करवाए l देश की संसद एक मजबूत केंद्र है और सर्वोपरि है, ताकतवर है, सभी कानून से उपर है l उसके आदेश की कोई अवेलहना नहीं कर सकता है l इस मायने में देश की संसद में चुने हुए सांसद भी उतने ही ताकतवर हुए, जितनी की संसद l अगर ऐसा नहीं होता तब, अभी हाल में उस्मानाबाद से जीते हुए शिव सेना के एक सांसद रविन्द्र गायकवाड ने एक विमानन अधिकारी को चप्पल से पीटने की हिमाकत नहीं करते l ठीक इसी तरह से तृणमूल कांग्रेस की सांसद डोला सेन ने भी एयर इंडिया के विमान को सीट के आवंटन को लेकर 40 मिनट का रोके रखा, और अपने सांसद होने का रुतबा दिखाया l एक तरह से देश के सांसद आम आदमी से बहुत ऊँचे है, विधाता है l किसी को भी पीट सकते है, कोई कुछ नहीं कर सकता l देश का कानून भी नहीं l भारतीय दंड संहिता की धारा 308 भी रविन्द्र गायकवाड पर लगी हुई है, फिर भी आराम से दिल्ली-मुंबई ट्रेन से, चार्टेड प्लेन से सफ़र कर रहे है l कानून मूक दर्शक की तरह कुछ कर नहीं पा रहा है l देश में आम आदमी के विरुद्ध रोजाना सैकड़ों मामले दर्ज होतें है, और दर्ज होने के कुछ ही घंटों में पुलिस उस आम आदमी को पकड़ने के लिए उसके ठिकाने पर पहुच जाती है l इधर सांसद महोदय के उपर केस लगे हुए आज 15 दिन होने के बावजूद, पुलिस उनके विरुद्ध कुछ नहीं कर सकी, क्योंकि उनको संसद का संरक्षण जो प्राप्त है, ठीक अर्जुन की तरह,  
जिसे श्री कृष्ण का संरक्षण प्राप्त था l भारतीय सांसद को यह छुट प्राप्त है कि उन्हें सत्र शुरू होने के 40 दिनों पहले और समाप्ति के 40 दिनों के बाद तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है, और वह भी स्पीकर की अनुमति से l हालाँकि, कुछ प्रतिरोधक कानूनों में सांसदों को जरुर गिरफ्तार किया जा सकता है, पर उसके लिए भी स्पीकर की अनुमति लेनी पड़ती है l सांसदों को यह छुट भले ही प्राप्त होती है, पर कानून से उपर कोई नहीं, और विमान में तो बिलकुल भी नहीं l यह स्पष्ट है कि विमान के अंदर कोई भी, चढ़ते ही उसके ज्यादातर अधिकार विमानन कानूनों के तहत सेवा को संचालित कंपनी के पास स्थानांतरित हो जातें है, जिसके तहत बैठना, उठाना और सामान्य नागरिक व्यवहार की अंचार संहिता लागु हो जाती है l कितनी बड़ी बात है कि एक सांसद, भारतीय सरकार के उपक्रम इंडियन एयरलाइन्स के अधिकारी को सरे आम पीट देता है, और माफ़ी मांगने के बजाय सीना फुलाये वहा से निकल जाता है, जैसे कोई जंग जीत कर सिपाही आता है l क्या कोई आम आदमी इस तरह से एयरपोर्ट से इस तरह से व्यवहार करके निकल सकता है ? बिलकुल नहीं l उसकी एयरपोर्ट के थाने में इतनी पिटाई होगी कि वह दुबारा, बदतमीजी करना भूल जायेगा l पर यहाँ मामला संसद का है, जो सर्वोपरि है, आम आदमी से बहुत ऊँची l उसके सदस्य किसी अवतार से कम नहीं है, जिसको चाहे पीट सकते है, जिसको चाहे अपमानित कर सकते है l कोई कुछ नहीं कर सकता है l ब्रहस्पतिवार को संसद में सांसद महोदय में अपनी सफाई दी और बड़ी शान से कहा कि उसने अपने बचाव में अधिकारी को धक्का दिया, जिसका समर्थन उनकी पार्टी के अन्य सांसदों और कुछ अन्य पार्टी के सांसदों ने भी किया l मनो चप्पल से पिटाई कोई मामला ही नहीं, कोई जुर्म ही नहीं l सांसद के आम जीवन की कोई समान्य एक घटना हो l हद तो तब हो गई, जब सांसद गायकवाड ने उन पर लगी बिमान से सफ़र की रोक को महात्मा गाँधी के उस वाकये से जोड़ा, जब 7 जून, 1893 को महात्मा गाँधी को दक्षिण अफ्रीका में फर्स्ट क्लास में सफ़र करने की वजह से  ट्रेन से धक्का दे कर उतार दिया गया था l भारतीय लोगों ने कठिन संघर्ष के बाद स्वतंत्रता हासिल की है, दक्षिण अफ्रीका के उस वाकये ने महात्मा गाँधी को रंगभेद के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए प्रेरित किया था l उस मानसिकता के खिलाफ लड़ने के लिए खुद को तैयार किया, जहाँ एक ही धरती पर जन्म लेने वालें लोगों के लिए अलग-अलग कानून थे, क्योंकि उनके रंग अलग थे l यहाँ सांसद को विशेषाधिकार जरुर प्राप्त है, पर किसी को अपमानित, किसी की मानहानि के लिए तो बिलकुल भी नहीं l इस तरह से सार्वजनिक रूप से किसी अधिकारी को चप्पल से पिटाई करके ना सिर्फ उन्होंने संसद की गरिमा को ठेस पहुचाई है बल्कि अपने आप को आम आदमी से उपर होने के घमंड और सामंती विचारधारा को भी प्रदशित करने की चेष्टा की है l सांसद गायकवाड़ पर विमान पर चढ़ने की रोक तो हटा ली गयी है, पर इस बात का मलाल सभी को है कि सांसद ने एयर इंडिया के पीटे हुए कर्मचारी से अभी तक माफ़ी नहीं मांगी है, फिर भी राजनेतिक कारण से यह निर्णय सरकार ने लिया है l    

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने आप को देश का प्रधान सेवक कहते है, तब इस दृष्टि से उनके साथ देश की संसद के दोनों सदनों के 795 सदस्य, जन सेवक ही हुए l फिर यह कैसा इतराना l पांच वर्षों बाद फिर उनको लोगों के पास जाना होगा, फिर याचना करनी पड़ेगी, फिर वादे करने होगे, तब आम आदमी अपनी ताकत दिखा देगा l हाल ही संपन्न उत्तर प्रदेश के चुनाव में कुछ इसी तरह के नतीजे देखने को मिले l घमंड में चूर समाजवादी पार्टी को लोगों ने धुल चटा दी l पर बड़ा सवाल यह उठता है कि सांसदों का यह अभद्र व्यवहार देश में कब रुकेगा, कब वे भी आम आदमी से इंसानियत से पेश आयेंगे, जिससे देश की संसद का नाम धूमिल ना हो, देश के नेताओं पर लोग गर्व कर सके l देश के सांसद और नेता, लोगों के मददगार बने, ना कि अपना अधिपत्य स्थापित करने की कौशिश करें l

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