हम बहनों के लिए मेरे
भैया, आता है एक दिन साल में..
कहने को तो उपरोक्त
शीर्षक हिंदी फिल्म अंजना के एक गाने का मुखड़ा है, पर गाने के मायने इतने अधिक है
कि शब्दों में व्याख्या नहीं की जा सकती l गाना संवेदना का एक ज्वार है, जिसे
महसूस किया जा सकता हैं l रक्षा बंधन आम जनमानस का त्यौहार है l दिवाली और होली के
पश्चात यह एक ऐसा त्यौहार है, जिसमे सभी की भागीदारी रहती है l स्वतंत्रता आंदोलन
में दो प्रमुख त्योहारों ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी l एक थी गणेश चतुर्थी और
दूसरा रक्षा बंधन l भाई-बहन, ननद-भोजी, पंडित-जजमान, हर रिश्तों में रक्षा सूत्र
बांधे जाते हैं l पूरा भारतवर्ष रिश्तों के धागों में बंध कर प्रेम, भाईचारे और
सामाजिकता को अक्षुण रखने का संदेश रक्षा बंधन त्यौहार के जरिये प्रेषित करता हैं
l l समाज में एकबद्धता बनी रहे, इसके लिए रक्षा बंधन जैसे त्यौहार ने कड़ियों को ना
सिर्फ जोड़ा है, बल्कि त्यौहार के माध्यम से परिवारों के बीच अटूट संबंध कायम किये
है l अब तो प्रकृति संरक्षण हेतु वृक्षों को राखी बाँधने की परम्परा भी प्रारम्भ
हो गयी है। संकेत भर से यह जताया जा रहा है कि रक्षा सूत्र बांध कर पेड़ों की रक्षा
की जाएगी l उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत में यह पर्व अलग नाम एवं अलग-अलग
पद्धतियों से मनाया जाता है। उत्तर भारत में 'श्रावणी' नाम से प्रसिद्ध यह पर्व ब्राह्मणों का सर्वोपरि त्योहार है। यजमानों को
यज्ञोपवीत एवं रक्षा-सूत्र देकर दक्षिणा प्राप्त की जाती है। महाराष्ट्र में इस
अवसर पर समुद्र के स्वामी वरुण देवता को प्रसन्न करने के लिए नारियल अर्पित करने
की परंपरा भी है। दक्षिण भारतीय ब्राह्मण इस पर्व को अवनि अवित्तम कहते हैं।
यज्ञोपवीतधारी ब्राह्मण स्नान करने के बाद ऋषियों का तर्पण कर नया यज्ञोपवीत धारण
करते हैं। भारत में प्रजापति ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविध्यालय की बहनों ने
हमेशा से ही रक्षा बांधकर सन्देश दिया है कि मन वचन और कर्म से पूर्ण पवित्र
व्यवहार की भावना बढे l रक्षाबंधन का उत्सव एक आध्यात्मिक उत्सव है। व्यावहारिक
रूप में तो इस पर्व को बहनों के द्वारा भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर
बहनों की रक्षा के संकल्प दिलाना होता है। लेकिन उत्सव का आध्यात्मिक संदेश यह है
कि रक्षाबंधन से व्यक्ति के जीवन में उमंग उत्साह निरोगी और दीर्घायु बनाने की
परमात्मा से कामना की जाती है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुरुष सदस्य परस्पर
भाईचारे के लिये एक दूसरे को भगवा रंग की राखी बाँधते हैं। हिन्दू धर्म के सभी
धार्मिक अनुष्ठानों में रक्षासूत्र बाँधते समय कर्मकाण्डी पण्डित या आचार्य
संस्कृत में एक श्लोक का उच्चारण करते हैं, जिसमें रक्षा बंधन का संबंध राजा बलि से स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है।
भविष्यपुराण के अनुसार इन्द्राणी द्वारा निर्मित रक्षासूत्र को देवगुरु बृहस्पति
ने इन्द्र के हाथों बांधते हुए निम्नलिखित स्वस्तिवाचन किया (यह श्लोक रक्षा बंधन
का अभीष्ट मंत्र है)-
येन बद्धो बलिराजा
दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामपि बध्नामि
रक्षे मा चल मा चल ॥
इस श्लोक का हिन्दी
भावार्थ है- "जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बाँधा
गया था, उसी सूत्र से मैं
तुझे बाँधता हूँ। हे रक्षे (राखी)! तुम अडिग रहना (तू अपने संकल्प से कभी भी
विचलित न हो।)" भारतीय स्वत्रंता संग्राम में जन जागरण के लिये भी इस पर्व का
सहारा लिया गया। श्री रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने बंग-भंग का विरोध करते समय रक्षा बंधन
त्यौहार को बंगाल निवासियों के पारस्परिक भाईचारे तथा एकता का प्रतीक बनाकर, इस
त्यौहार का राजनीतिक उपयोग आरंभ किया। 1905 में उनकी प्रसिद्ध कविता "मातृभूमि
वंदना" प्रकशित हुई, जिसमें वे लिखते हैं-
"हे प्रभु!
मेरे बंगदेश की धरती, नदियाँ, वायु, फूल - सब पावन हों;
है प्रभु! मेरे
बंगदेश के, प्रत्येक भाई बहन के
उर अन्तःस्थल, अविछन्न, अविभक्त एवं एक हों।"
रक्षा बंधन का संबंध
महिलाओं के मान की रक्षा से हैं l देश में महिलाओं को पुरुष के बराबर सम्मान दिए
जाने से महिलाएं अब अपनी रक्षा खुद करने में सक्षम हो गयी हैं l देश की महिलाओं के
लिए उभरी नई संभावनाओं ने उन्हें एक नए क्षितीज पर ला कर खड़ा कर दिया है l टोकियों
ओलंपिक्स इसका जीता जाता उदाहरण है l देश में महिलाओं के शशक्तिकरण के लिए नए
द्वार खुल चुके हैं l देश के कई राज्यों ने
रक्षा बंधन के दिन महिलाओं के लिए योजनाओं की झड़ी लगाने का भी निर्णय लिया है l
उत्तर प्रदेश में रक्षा बंधन के दिन महिलाओं के लिए कई योजनायें शुरू होने जा रही
हैं l रक्षाबंधन के पर्व पर इस बार भी महिलाओं को सरकार ने रोडवेज बसों में
निशुल्क बस यात्रा का तोहफा दिया है। रक्षा बंधन के दिन प्रदेश की महिलाओं को
प्रदेश के अंदर उत्तराखंड परिवहन निगम द्वारा संचालित रोडवेज बसों के किराये में
शत-प्रतिशत की छूट दी जाएगी। इतना ही नहीं कई स्वयंसेवी संगठनों ने लड़कियों के लिए
पाठ्य पुस्तकें और कलम-कागज भी भेंट स्वरुप देने की तैयारी की हैं l
रक्षा बंधन त्यौहार को भाषाई या धार्मिक लघुता में बांधना, उसके महत्त्व को कम करना जैसा है l राष्ट्रिय अस्मिता को पहचान दिलाने वाला यह त्यौहार, बहन के विश्वास एवं भाई का संकल्प का प्रतिरूप हैं l समरसता, एकता और क्षेत्रीय समन्वयता को दीर्घ काल के लिए जीवित रखने और सभी को एकसूत्र में पिरोकर रखने का यह एक उत्तम त्यौहार हैं l देश भर में इस दिन सामूहिक रूप से यह त्यौहार मनाया जाता हैं l परिवार के लोग एक जगह इकठ्ठा हो कर एक साथ एक दुसरे को राखी बांधते हैं l हां, बाजारवाद का कुछ असर इस त्यौहार में भी देखने में आया है l मंहंगी राखियाँ और कीमती गिफ्ट देने की एक आधुनिक परंपरा चल पड़ी है l पर भारत जैसे विशाल देश में हर श्रेणी के लोग रहते है, जो इन सब से उपर उठ कर रक्षा बंधन त्यौहार बड़े प्रेम से मानते हैं l हर तरह की सीमाओं को लांघ कर यह पर्व अपनी एक अलग पहचान बनाये हुए हैं l
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