Sunday, September 11, 2016

असम में व्यापार करने की आज़ादी
रवि अजितसरिया


असम में सर्वानन्द सरकार ने सौ दिन पुरे कर लिए है l इस पर ना जाने कितने विश्लेषण हुवे है, ना जाने कितने लेख लिखे जा चुकें है l हिंदी भाषियों के लिए, खासकर, यह सौ दिन काफी मुश्किलें भरे हुए रहें l सौ दिनों की उपलब्धि यह रही कि सरकार ने अपनी वित्तीय हालत को सुधारने के लिए एक प्रतिशत कर में बढ़ोतरी कर दी, जिससे यह संभावना बन गयी हैं कि इस बढ़ोतरी से वस्तुओं के भाव बढ़ जायेंगे l उल्लेखनीय है कि नई सरकार के सत्ता सँभालते ही अवेध वसूली और मूल्य वृद्धि ह्रास करने के उद्देश्य से राज्य से चेक गेट हटाने की घोषणा की थी, जिसकी भारी प्रशंसा लोगों ने की थी l अब एक प्रतिशत एक मद में और आधा प्रतिशत दुसरे मद में वेट बढ़ा कर सरकार लोगों के समक्ष मुहं खोलने की हिम्मत नहीं कर रही, पर यह तर्क दे रही है कि आवश्यक सामग्रियों के दाम इस कर बढ़ोतरी से नहीं बढ़ेंगे l पर व्यापारियों ने अभी सरकार के साथ दो-दो हाथ करने की ठान ली है l मूल्य वृद्धि के नाम पर जिस तरह से उनसे पूछ-ताछ की जा रही है, उनसे वे परेशान ही नहीं बल्कि दुखी भी है l राज्य में पहले से मूल्य वृद्धि हुई है, उपर से राज्य में आने वाली बाढ़ से जूझते लोगों के पास इस समय सर्वानन्द सरकार के समक्ष एक आशा भरी नजरों से देखने के अलावा कोई चारा नजर नहीं आ रहा है l 
असम में फैंसी बाज़ार मतलब है, व्यापारी, चाहे वह कोई भी जात का हो l व्यापार को असम में हमेशा से ही दोयम दर्जें का कार्य माना गया है l मानो व्यापार करना कोई गुनाह है l एक चतुर्थ श्रेणी के सरकारी पद के लिए, असम में लाखों रुपये की रिश्वत दी जाती है, पर पद लेने वाला, उन रुपयों से व्यापार करने से कतराता है, मानो कोई व्यापर कोई बिच्छू हो, जिसको छेड़ने से ही डंक लगता है l जबकि यह सर्विदित है कि किसी भी देश या प्रदेश की मजबूती वहां की आर्थिक मजबूती से आंकी जाती है, वहां की आधारभूत संगरचना, वहां का वातावरण उद्योग और वाणिज्य-व्यापर के लिए अनुकूल हो, तब उस देश को कोई एक समृद्ध देश की संज्ञा दी जाती है l वहां के प्रति नागरिक आय इतनी अधिक हो, तभी उस देश या प्रदेश को एक विकसित इलाका माना जाता है l उस देश या प्रदेश के अर्थ-सामाजिक हालात इतने सुदृढ़ होतें है कि हर नागरिक के पास आय के अच्छे साधन हो, क्रय क्षमता इतनी हो कि राष्ट्र या प्रदेश के विकास में एक अहम् भूमिका निभाएं l असम के क्षेत्र में अगर देखे, तब पाएंगे कि व्यापार और वाणिज्य हिंदी पट्टी से प्रवजन करके आए हुए लोगों के हाथ में मुख्यतः है l यह कार्य वे लोग वर्षों से कर रहें है l १८२८ से भी पहले से, व्यापार और वाणिज्य के कारणों से आए हुए लोगों ने अपना बसेरा यही पर कर लिया है l लाखों लोगों की जन्म भूमि असम ही है l फैंसी बाज़ार इन बसेरों में से एक बड़ा बसेरा है, जिसका नाम यहाँ के राजनेता, छात्र संगठन और अन्य लोगो गाये-बघाये लेतें रहते है l फैंसी बाज़ार का मतलब ही है हिंदी भाषी l  
जबकि फैंसी बाज़ार में हर जाति और सम्प्रदाय के लोग व्यवसाय करतें है, जिसमे, बंगला भाषी, मुसलमान, असमिया गुजराती, बिहारी, पंजाबी, हिंदी भाषियों के साथ मिल कर व्यवसाय करतें है l फैंसी बाज़ार ने हमेशा से ही अपनी एक अलग पहचान बनाई है l उसने दो एक बार सुरक्षा के मुद्दे को छोड़ कर कभी भी किसी जातिगत मांग को लेकर आन्दोलन नहीं किया, जो यह दर्शाता है कि यहाँ रहने वालें लोग शांतिप्रिय लोग है, जिन्हें आम तोर पर राज्य की राजनीति से कोई मतलब नहीं है l यहाँ के लोगो हर वर्ष भारी मात्रा में राजस्व कमा कर सरकारी खजानें में जमा करतें है l इसमें निगम और सम्पति कर, वाणिज्य कर, श्रम कर, इत्यादि शामिल है l  

नई सरकार आने के पश्चात, मूल्य वृद्धि के नाम पर इस तरह से व्यापारियों का नाम बार-बार आना इस बात के संकेत है कि उन विषयों पर राजनीति करनी आसन है, जिस पर आम नागरिकों का ध्यान हमेशा रहता है l जब भी बड़े नेता फैंसी बाज़ार का रुख करतें है l वे यहाँ के लोगों को तरह तरह के आश्वासन देते है, पर स्थितियों में कोई खास बदलाव नहीं होता है l उस सोच में कोई बदलाव नहीं होता, जो ह्रदय में विद्यमान है l जबकि यह बात सबकों पता है कि फैंसी बाज़ार जैसे बड़े व्यावसायिक इलाकें में नागरिक सुविधाओं का भारी आकाल है l जिस तरह से व्यवसाय करने के लिए सुविधाओं को मुहय्या करवाया जाना चाहिये, वह यहाँ मौजूद नहीं है l फिर विषम परिस्थितियों के होते हुए भी, यहाँ के व्यापारी मजे से व्यापार करतें है, और किसी भी किस्म का प्रतिवाद नहीं करतें l वर्षों से लगी हुई नों एंट्री यह बताती है कि किस तरह से व्यावसायिक वाहनों को यहाँ आने से रोका जाता है, जो व्यापार करने के लिए प्रथम अनिवार्य जरुरत है l इस से सरकार की संकीर्ण मानसिकता और दोहरा रवय्या का पता चल जाता है l पर एक व्यावसयिक इलाके को जो सुख-सुविधाएँ दी जनि चाहिये, वह नहीं दी जाती, बल्कि ऐसी-ऐसी योजनाओं को लागु करने की कवायद की जाती है, जिससे यहाँ का व्यापार को धवंस होना निश्चित है, साथ ही रहवासियों के भारी मुश्किलें आ सकती है l उल्लेखनीय है कि हाल ही में गुवाहाटी नगर निगम ने फैंसी बाज़ार के सौदर्य के लिए एक ऐसी योजना बना कर दी है, जिसका भारी विरोध हो रहा है l प्राचीन फैंसी बाज़ार के अस्तित्व को कोई मिटा नहीं सकता, यह तो तय है l बस यहाँ के व्यापारियों को चाहिये कि स्वयं अपने स्तर को ऊँचा करें और एक उदहारण पेश करें l इतने वर्षों तक हर त्यौहार, पर्व, बाढ़, भूकंप और अन्य मौकों पर फैंसी बाज़ार चंदा देता आया है, क्यों न इस बार स्वयं एक पहल अपनी और से की जाएँ, जिससे एक मिसाल कायम हो l उसे अब स्वयं आगे आ कर फैंसी बाज़ार के विकास के लिए योजना बना कर सरकार को देनी चाहिये, जिससे यहाँ के व्यापारियों को सरकार की तरफ सुख-सुविधाओं के लिए सरकार की तरफ मुहँ नहीं ताकना पड़े l इस पूरी योजना में कामरूप चेंबर, लोगों की सहभागिता भी ले सकती है l (raviajitsariya@gmail.com)

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