Saturday, September 24, 2016

सौ साल जीने का मूलमंत्र किसके पास है?
रवि अजितसरिया

कहते है कि हर मनुष्य के जीने की उम्र सौ वर्ष तय की हुई है, पर उसके रहन-सहन और खान-पान के तरीकों की वजह से उसके जीवन की लम्बाई अपने आप कम-ज्यादा हो जाती है l इस धारणा की वजह से अब तो यह देखा जा रहा है कि मनुष्य एक रोगमुक्त जीवन कितने दिनों तक जीता है, चाहे वह छोटा हो या बड़ा l क्या किसी के पास सौ साल जीने का मन्त्र है l शायद नहीं l यह बात जरुर है कि मनुष्य को रोगमुक्त रखने के लिए, भारतीय मनीषियों के पास तमाम तरह के उपाय और साधन प्राचीन काल में भी मौजूद थे, और कहते है, अब भी है l पर आज के आधुनिक युग में इन उपायों को करने में इतनी व्यावहारिक परेशानियाँ है कि मनुष्य गंभीर साधना करने में कतराता है l वह हलके-फुलके कई उपायों का सहारा करके, एक अच्छा जीवन जीने की चेष्टा करता है l इसमें सुबह की सैर, प्राणायाम, योगासन और संतुलित आहार, ज्यादातर लोगों की दिनचर्या बन गयी है l विभिन्न तरह के रोगों के उपचार के लिए कई तरह की पद्धतियों का सहारा लेतें है लोग, जिसमे घरेलु उपच्चार भी शामिल है l कई तरह के विरोधाभास भी है l विज्ञान की अनेक शाखाएं है जो व्यवहारिक और उपयोगी है l आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, एलोपेथ, यूनानी, तिब्बती और बहुत ही ऐसी चिकित्सा पद्धतियाँ है, जो अपने अपने स्तर पर मनुष्य के इलाज के लिए प्रस्तुत है l इन सभी पद्धतियों से हम सभी एक ना एक बार जरुर गुजर चुकें है l सबकी अपनी-अपनी पसंद और चयन है l जिसके जो पद्दति वाली दवा असर कर रही है, वह उसको अपना रहा है l पर सौ साल का मूलमंत्र किसी के पास नहीं है l एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए व्यायाम, योगासन और प्राणायाम की एक प्राचीन व्यवस्था आज भी कायम है, कसरत और स्ट्रेच तरीकों को अपना कर करोड़ों लोगों ने अपने जीवन को उर्जावान और क्रियावान बनाये रखा है l उनके पास भी सौ वर्षों तक जीने का मूलमंत्र नहीं है l पर एक स्वस्थ जीवन जीने के उपाय है, चाहे वें सौ वर्ष वर्ष पुरे   ना हो, पर जितने वर्ष भी जीये, स्वस्थ,निरोग और हर्ष के साथ जीये l यह बात सभी जानते है कि मनुष्य अपने परिवार के प्रति कर्तब्य निभाते-निभाते असंतुलित आहार, अर्धनिंद्रा और कुछ व्यसनों को पाल लेता है, जिसकी वजह से उसकी दिनचर्या, स्वस्थ कारणों से बिगड़ने लगती है l पचास तक आते-आते बीमारियाँ घर करने लगती है l अक्सर आम लोगों की जीवनशैली और खानपान के बारे में इस तरह से टिपण्णी की जाती है कि आधुनिक ज़माने में लोगों की जीवनशैली कुछ इस तरह की हो गई है कि बिमारियों का खुला आमंत्रण है l तनाव जीवन के रोजमर्रा का हिस्सा बन गया है l कम उम्र में ही गंभीर बीमारियाँ चली आने लगती है l इस तरह की बातें विशेषज्ञों द्वारा सेमिनारों और सभाओं में कही जाती है l ऐसे में, सोचने वाली बात है कि कौन सी जीवनशैली सबसे उत्तम और स्वास्थकर हो सकती है l जीवन की तमाम जरुरर्तों को पूरा करने के लिए लोग अपने आप को मशगुल रखतें है l  

वे भी उसी तरह से सोतें-उठतें, खातें-पीतें है, जो सामान्यतः एक आम इंसान को अपने जीवन यापन के लिए करना चाहिये l फिर जीवन के एक पड़ाव पर आ कर मनुष्य शारीरिक दुर्बलता क्यों महसूस करने लगता है l अगर गौर से देखे, तब पाएंगे कि जिस प्रचुरता में फल एवं सब्जियां, बाजारवाद के प्रभाव से आराम से मिलने लगी है, पर यह भी देखा जा रहा है कि इस उपलब्धता के लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है l प्रद्योगिकी ने सब कुछ बदल कर रख दिया है l भारी मात्रा में रसायनों के उपयोग से फलों एवं सब्जियों की गुणवत्ता में फर्क दिखाई देने लगा है l हर सब्जी और फल हाइब्रिड नस्ल की मिलने लगी है l अब यह कहा नहीं जा सकता है कि कौन सा खाद्य पदार्थ पौष्टिक है और कौन सा हानिकारक है l जो देखते है, उसे मान लेतें है l आयुर्वेद जैसी पद्दति पर लोगों का भरोसा पहले से अधिक हो चला है, पर अब यह पद्दति महंगी और बाजारवाद का एक हिस्सा बन गयी है l हर कोई आयुर्वेदिक उत्पाद बनाने में लग गया है l हर कोई जीवन शैली पर प्रवचन देने लग गया है l कई तरह की पेचीदगियां हमारे सामने आ खड़ी हुई है l बाजारवाद एक चुनौती बनती जा रही है, एक आम भारतीय किसी बड़े मकड़ जाल में फंसता चला जा रहा है l मोटापा, मधुमेह और रक्त-चाप किसी भी आम भारतीय के जीवन का एक हिस्सा बन चुके है l टीवी खोलते ही एक नए पंडित आयुर्वेद और प्राचीन ऋषि-मुनियों द्वारा दिए गए फोर्मुले पर आधारित दवाइयों का प्रचार करते हुए दिखाई देतें है l नियम और संयम की बातें, अक्सर मुनियों के प्रवचन का हिस्सा रहती है, पर उनकों व्यावहारिक रूप से अपनाने में आधुनिक युग के मानव को अनेक कठिनाइयाँ होती है l भारतीय जीवनशैली उन मानवीय विचारों पर आधारित है, जिसको अपना कर कोई भी एक सादा और सुंदर जीवन जी सकता है l अधकचरे  विकास और उसकी विपरीत परिणामों से हो सकता है कि भारतीय लोगों में बीमारियाँ जल्द चली आती हो, पर एक आम भारतीय अपने जीवन को स्वस्थ बनाने के लिय आज जुट गया है l उसने खुद ही एक लम्बा जीवन जीने का मन्त्र खोज लिया है l

No comments: