पकिस्तान के साथ युद्ध नहीं
होने के कुछ बड़े कारण
रवि अजितसरिया
कश्मीर में आंतकवादी बुरहान
वानी के मरने के बाद, पिछले 70 दिनों से जम्मु कश्मीर में हालात बद से बद्दतर हो
गए है l रविवार को उरी ब्रिगेड पर हुवे फिदायीन हमले से स्थिति और अधिक बिगड़ी ही
है l देश भर में पाकिस्तान समर्थित लस्कर ए तैबा के इस कायरतापूर्ण हमले का
प्रतिवाद जोरो से हो रहा है l लोगों के गुस्सा सातवे आसमान पर है l यह आवाज उठ रही
है कि भारत को पाकिस्तान के साथ युद्ध में उतर जाना चाहिये, और पीओके स्थित उनके
सभी आंतकवादी ट्रेनिंग कैम्पों को ध्वस्त कर देना चाहिये l मीडिया लगातार देश भर
के लोगों की संवेदना और आक्रोश के पिक्चर लगातार दिखा रहा है l हालाँकि, देश के
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों ने बयान दिया है कि ईंट
का जबाब पत्थर से दिया जाएगा, पर इस बात के आसार बहुत ही कम है कि भारत इस समय
पाकिस्तान से कोई सीधा युद्ध करेगा l इसके सीधे कारणों को अगर हम देंखे, तब पाएंगे
कि भारत इस समय पश्चिम एशिया में एक बड़ी शक्ति बन कर उभर रहा है l आर्थिक और
सामरिक, दोनों दृष्टि से l सीधे युद्ध करने से भारत में जो बड़ी संख्या में निवेश आ
रहा है, उस पर प्रतिकूल असर पड़ेगा l निवेशकों के भरोसा टूट सकता है l भारत कभी भी
यह नहीं चाहेगा l कश्मीर मुद्दे को अंतराष्ट्रीय रूप से एक बार फिर बड़े स्तर पर बल
मिलने की सम्भावना बन जाएगी, जो पाकिस्तान उरी ब्रिगेड पर हमला करने से पहले से
चाहता था l होशियारपुर और पठानकोट के हमले के पश्चात पकिस्तान के पास अंतराष्ट्रीय
स्तर पर कश्मीर मुद्दे को उठाने के लिए कोई वजह नहीं थी, पर जैसे ही बुरहान वानी
की मृत्यु हुई, और कश्मीर में उसका बड़ा प्रतिवाद शुरू हो गया, उसने चारो तरफ से
भारत पर निशाना साधना शुरू कर दिया, जिससे भारत जल्दबाजी में सेन्य कार्यवाई शुरू
कर दे l सामरिक संयम के पक्षधरों का कहना है कि युद्ध से उसकी छवि को तो नुक्सान
पहुचेगा, साथ ही, आर्थिक रूप से उसको भारी नुकसान होने की आकांशा है l अमेरिका और
ब्रिटेन ने हमेशा से ही भारत और पाकिस्तान को नसीहत दी है कि दोनों को तनाव कम
करने की दिशा में काम करना चाहिये, इसलिए अगर युद्ध हुवा, तब विश्व भर में भारत पर
युद्ध ख़त्म करने का दबाब अधिक रहेगा, और पाकिस्तान यह भी चाहेगे कि भारत को एक
आक्रामक राज्य घोषित हो, जो हमेशा आंतकवादी हमले के बाद पाकिस्तान को ही दोषी
मानता है l चूँकि दोनों ही देश परिमाणु बम संपन्न देश है, इसलिए स्थित अधिक भयावय
होने इस आशा है l साथ ही भारत का परिमाणु बम उपयोग पहले नहीं करने का करार भी इस
और रुकावट बन सकता है l इसके अलावा, युद्ध के खर्चे को लेकर भी सामरिक मामले के
विशषजज्ञों का मानना है कि भारत में अभी स्वास्थ और आधारभूत विकास के लिए बड़े
पैमाने पर पूंजी लगनी है l अगर युद्ध हुवा, तब बहुत पैसा युद्ध में चला जाएग, जो
इस समय भारत के लिए भरी पड़ेगा l
फिर, भारत मुस्लिम
आंतकवादियों के लिए एक प्रजनन क्षेत्र बना हुवा है, कश्मीर के साथ पुरे नार्थ-ईस्ट
में मौल्वादियों और सिमी जैसे दल सक्रीय होने के चलते, भारत में कभी भी स्थाई
शांति कभी भी नहीं रही l युद्ध के होने से देश में कट्टरवाद के समर्थकों को पनपने
का एक मौका हाथ लग जायेगा l यह भी मानना है कि अगर भारतीय सेना पीओके में घुस कर
आंतकवादियों के ठिकानों को नष्ट करेगी, तब पाकिस्तान के जबाब देने पर बॉर्डर पर
रहेने वालें सिविलियन्स का जान माल का भारी नुकसान हो सकता है एक संभावना यह भी है
कि भारत पाकिस्तान को कूटनीति के द्वारा परास्त करे l उसको एक आंतकवाद संरक्षित
देश घोषित करवाने के लिए भारत प्रयास
करेगा, जिससे पाकिस्तान को सभी अंतराष्ट्रीय मदद मिलनी बंद हो जाएगी l भारत ने
पाकिस्तान को ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ का दर्जा जो दिया है, उसको भी वापस ले सकता है l
एक आर्थिक रूप से टूटे पकिस्तान किस तरह से आगे आंतकवादियों को आर्थिक मदद कर
सकेगा, यह सभी तो पता है l पर यह बात दीगर है कि सन 2008 में जब मुंबई पर हमला
हुवा था, तब भी तीनों सेना के चीफों ने किसी भी मिलिट्री ऑपरेशन के लिए हरी झंडी
नहीं दिखाई थी, बल्कि कूटनीति के जरिये पाकिस्तान को अलग-थलग की योजना बनाई थी l आज
भारत दुबारा से उसी योजना पर काम कर रहा है l हालाँकि भारतीय फोज ने पकिस्तान को
चेतावनी भरे लहजे में जब चाहे सेन्य कार्यवाही करने के लिए नोटिस दे दिया है, पर
जानकार मानते है कि भारत एक बार फिर किसी भी सीधी कार्यवाही से बचेगा l राष्ट्रिय
रक्षा सलाहकार अजीत डोवाल का मानना है कि पकिस्तान के पास भी वही परिमाणु ताकत है,
जो भारत के पास है, इसलिए सीधे हमला करना और उसमे जितना उतना आसान नहीं रहेगा l ऐसे
में भारत क्या कर सकता है l भारत सिन्धु नदी के करार को समाप्त कर सकता है,
व्यापार में दी जाने वाली रियायतों को समाप्त कर सकता है , नवम्बर में होने वाले
सार्क सम्मलेन का बहिष्कार कर सकता है l कूटनीति के द्वारा भारत सभी मित्र देशों
से इस हमले की निंदा करने के लिए कहलवा सकता है, जो वह फिलहाल कर रहा है l कश्मीर
को लेकर भारत आज अधिक चिंतीत है l अगर सीधा युद्ध हुवा, तब भारत की आतंरिक सुरक्षा
की समस्या पहले से अधिक बढ़ जाएगी, खासकरके कश्मीर में l भारत के रक्षा मामले में
अजीत डोवाल का कद को देखते हुए तीनों सेना के चीफ आज के दिन एक सहायक के रोले पर आ
गएँ है, जहा एक और विदेश सचिव एस जयशंकर है और दूसरी तरफ रक्षा सलहाकार अजीत डोवाल
है l इधर अमेरिका ने पाकिस्तान को दुबारा से यही नसीहत दी है कि वह भारत से बातचीत
करे और दोनों तरफ का तनाव कम हो l पर पकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ ने
संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार सभा में कश्मीर का मुद्दा दुबारा से उठाया और कहा कि
अब तक पिछले दौ महीने में 70 लोगों की जाने जा चुकी है, जो मानव अधिकारों के
खुलम-खुल्ला उलंघन है l नवाज शरीफ ने राजनाथ सिंह के उस बयान की तीखी आलोचना की है
जिसमे उन्होंने रविवार को पाकिस्तान को एक आंतकवादी राष्ट्र कह दिया था l
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