Friday, December 2, 2016

मछली जल की रानी है, जीवन उसका पानी है
रवि अजितसरिया
हम सब बचपन में एक गीत गुनगुनातें थे, ‘मछली जल की रानी है, जीवन उसका पानी है., हाथ लगाओ डर जाएगी, बाहर निकालो मर जाएगी, पानी में डालो तो बह जाएगी’ l गीत एक संकेत मात्र था, हमारे लिए कि जिसका जो संसार है, वह वही रहेगा, उसे छेड़ने की चेष्टा नहीं करों, नहीं तो उसका अस्तित्व समाप्त हो जायेगा और पृथ्वी का संतुलन बिगड़ जायेगा l जीवन बहने का नाम है l गीत एक छात्र के अनुसाशन भी सिखाता था l कितना प्रिय हुवा करता था गीत  l पता नहीं क्यों, अब इस तरह के गीत अब छात्रों को क्यों नहीं सिखाये जाते, या यूँ कहें कि छात्र सीखना ही नहीं चाहतें, उनके पास समय ही नहीं है l समय बदल गया है , शायद बदलाव अपरिहार्य नियम है l जो ना बदले, वे काल के गाल में समा जातें है, या फिर पीछे छुट जातें है l कुछ शाश्वत नियम है, जिनको कोई बदल नहीं सकता l जैसे मछली को कोई जल से जिन्दा बहुत देर तक बाहर नहीं रख सकता l वह मर जाएगी l दुनिया भर में बदलाव हो रहें है l मुनष्य के सोचने के तरीके, विचार और व्यवहार, सभी बदलाव की और है l नए विचार अब अच्छे लगने लगें है l ठीक इस गीत की तरह l मुन्नी और शीला के गीतों ने बच्चों की जुबान पर आने लगें है l बच्चे पहले से अधिक समझदार हो गएँ है l एक नई पौध ने जन्म ले लिया है l जो रुढिवादिता के समर्थक थे, ऊन्होने भी अब नए आने वालें विचारों को आत्मसात कर लिया l विकास के लिए तड़प अब बढ़ गयी है l हर कोई विकसित होना चाहता है l कोई जल्दी, तो कोई बहुत जल्दी l कोई मेहनत से तो कोई बिना मेहनत के l ठोस जमीन बनाने के लिए सबसे पहले एक खड्डे को खोदना होता है, फिर जा कर उस खड्डे को ठोस बनाया जा सकता है l उस जमीं पर खड़ा रहा जा सकता है l इस तरह के शाश्वत नियम वैज्ञानिक है, तो प्राकृतिक भी है l मछली के बारे में जैसे हमें पता है कि उसे बाहर निकलने से वह मर जाएगी, उसी तरह से हमें पता है कि विकास के लिए एक ठोस जमीं तैयार की जानी चाहिये, जिसको कोई हिला नहीं सके l बदलाव के प्रति आग्रही होना विकास की निशानी है, पर बदलाव को आत्मसात करने के लिए थोडा सीखन और थोडा अनुभव भी प्राप्त करना पड़ता है l तभी वह विकास ठहरता है l इस समय असम,  व्यवसाय करने की आसानी वाले ग्राफ में २४वें स्थान पर लुढ़क गया, त्रिपुरा से भी नीचे l पहले से 2 स्थान नीचे l असम के साथ पूर्वोत्तर के सभी राज्यों ने वर्ष 2016 में ख़राब प्रदर्शन किया l जैसे मछली जल की रानी है, उसी तरह उद्द्योग, वाणिज्य किसी भी राज्य का मेरुदंड है l उसको विकसित करने से राज्य की माली हालत अपने आप सुधर जायेगी l आन्ध्र प्रदेश क्यों इस लिस्ट में सबसे उपर है l क्या विकास के लिए छटपटाहट सिर्फ आन्ध्र में ही है ? दुसरे राज्य के लोगों में क्या इस तरह का हुनर नहीं है कि वे भी विकसित हो कर अपना जीवन बड़े आराम से जी सकें l यह एक कटु सत्य है कि पूर्वोत्तर के राज्यों में स्थानीय लोगों में व्यापार करने के वे जन्मजात गुण नहीं है जो दुसरे राज्यों के लोगों में रहतें है l पर इससे वह छटपटाहट तो ख़त्म नहीं होनी चाहिये, जो अन्य राज्यों के लोगों में देखी जा सकती है l भारत सरकार के उद्द्योग नीति एवं संवर्धन विभाग ने 340 ऐसे विन्दु तय किये है, जिस पर हर राज्य को खरा उतरना है l इसमें राज्यों को अपने प्रदर्शन करना है l अब सवाल उठता है कि असम और पूर्वोत्तर में व्यापार करने में तमाम तरह की परेशानियाँ क्यों है l क्यों यहाँ आयें दिनों दंगे और मारपीट होतें है l क्यों यहाँ व्यापारियों को प्रताड़ित किया जाता है ? क्या विकास के लिए यह जरुरी नहीं कि दुसरे लोगों के साथ एक प्रतिस्पर्धा में उतर कर आगे आ कर दिखाएँ l क्या किसी अनजाने भय की वजह से यहाँ व्यापार में सहूलियत प्रदान नहीं की जाती ? क्या व्यापार करना इतना बुरा कार्य है कि उसको असम दोहम दर्जे का कार्य माना जाता है ? तमाम तरह के प्रश्न लोगों को कचोटते होंगे, जिससे हताशा और आक्रोश पनप रहा है l व्यापार उस मछली के सामान है, जिसको जल से निकला नहीं जा सकता, उसको छुवा जा सकता है, पर पकड़ा नहीं जा सकता l मछली जल में जितना विचरण करेगी, उसकी लम्बाई बढ़ेगी, जिससे वह प्राक्रतिक संतुलन बनाने में एक अहम् रोल निभाती रहेगी l मगर जब जल से मछली को निकल लिया जायेगा, तब उसकी मृत्यु तय है l असम में व्यापार को उन्नत करने के लिए स्थानीय लोगों को भी उसमे कूदना होगा और अपने भविष्य को उज्जवल बनाना होगा l हो सकता कि उस समय वे भी व्यापार करने में आने वाली परेशानियों के बार्रें में भिज्ञ हो जाएँ और व्यापार के रहस्यों के बारें में जान सकें l तब हो सकता है कि तब यहाँ व्यापरियों को किसी तरह से कोई खतरा नहीं हो l स्थानीय लोगों को भी किसी अनजाने भय से आक्रांत नहीं होना पड़ेगा कि कही कोई प्रवजन करके आये लोग स्थानीय लोगों पर भारी नहीं पड़ जाएँ l तब किसी छात्र संगठन को आय दिन आन्दोलन नहीं करना पड़ेगा और चंदा नहीं उठाना पड़ेगा l सभी एक साथ सहयोग करेंगे l क्या स्थानीय और क्या बाहरी l
यह एक बेहद जटिल मुद्दा है, जिस पर चिंतन और विवेचन आवश्यक है l असम के बच्चे पुरे देश में ही नहीं पूरी दुनिया में कमाल कर रहें है, इस राज्य में वह माद्दा है कि वह भी व्यापार करने की आसानी वाले ग्राफ में उपर आ सके, पर इसके लिए एक सामाजिक और राजनैतिक इच्छा शक्ति की जरुरत होगी, जो आयेगी एक सुशासन से l यह समय बेहद अनुकूल है कि राज्य में व्यापार और वाणिज्य में एकदम से उछाल आ सकता है, जिसके लिए यहाँ के सामाजिक और जातीय संगठन, वरिष्ट नागरिक और गैर सरकारी संगठनों को एक साथ मिल कर सोचना होगा कि विकास के लिए व्यापार और उद्द्योग कितना जरुरी है l व्यापार को जीवन से साथ जोड़ना होगा, मछली बनाना होगा, बहना होगा.. l              

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